...

6 views

BACHPAN KA VADA
CHAPTER 20

कुछ देर बाद मानवी शेखर से बोलती है बताओ क्या बात करनी है। शेखर बोलते हैं मुझे तुमसे बहुत जरूरी बात करनी है। तुम्हें याद है ना

वह वादा कि मैं जो बोलूंगा तुम्हें तुम मेरा साथ दोगी।मानवी बोलती है हां मुझे याद है अच्छा तुम्हेंमुझसे कुछ करना है क्या। शेखर बोलता है

हांऔर तुम वादा नहीं तोड़ सकती। मानवी हंसते हुएबोलती है ओके मैं वादा कहां तोड़ रही हूं तुमबताओ क्या तुम्हारे लिए कर सकती हूं मैं।

शेखरहिम्मत करते हुए जल्दी से बोलता है मैं निशा कोपसंद करता हूं ।क्या तुम मुझे और निशा कोमिलने में मदद करोगी। मानवी शेखर की

बात सुनकर एकदम हैरान और हार्ट ब्रोकन हो जाती है, वह बस शेखर की बातें एकदम शांत होकर सुन रही थी जैसे उसमें कोई आत्मा हीं

ना हो। शेखर मनवी की ओर देखता है कि मानवी कुछ बोल नहीं रही है तो शेखर बोलता है तुम वादा नहीं तोड़ सकती हो। मैं सच में निशा

से बहुत प्यार करता हूं। मानवी का हाथ पकड़ कर बोलता है मैं सच बोल रहा हूं निशा को सच में बहुत पसंद करता हूं ।मैं उसे बहुत खुश

रखूंगा प्लीज मेरी मदद करो ना। अगर तुम मदद नहीं करोगे तो मैं निशा के बिना नहीं जी पाऊंगा प्लीज मेरी मदद करो ना। मानवी शेखर का

हाथ हटाकर पीछे मुड़कर अपने आंसू पोछ कर बोलता है ठीक है मैं तुम्हारी मदद करूंगी। मानवी कि बात सुनकर शेखर मानवी को गले लगा

लेता है और बोलता है थैंक यू सो मच मदद करने के लिए अगर तुम मेरी मदद नहीं करती तो पता नहीं मैं क्या करता। उधर मानवी के आंखों

से आंसू रुक ही नहीं रहे थे मानवी आंसू पोछ कर शेखर को हटती है। शेखर बोलता है सॉरी मैं खुशी में तुम्हें गले लगा लिया था ।वैसे तुम्हें भी

कुछ बात बतानी थी ना मुझे ।मैं भूल ही गया था बताओ क्या बात बतानी थी। मानवी मन में बोलती है अब बताने से क्या फायदा अगर मैं बता

भी दिया तो क्या होगा।कहां कुछ बदलने वाला है। हम लोग अ ɴɪभी भी दोस्त हैं और बचपन में भी दोस्त थे। इसलिए मुझे बताने की कोई

जरूरत भी नहीं लगता है। मैंने बचपन के वादा को सीरियस ही ले लिया था। वह बस मुझे दोस्त ही माना है। वह जरूर बचपने में वह सब

बातें की होगी। मेरी ही गलती है मैंने वह बात को सीरियस समझ कर अभी तक उसका वेट कर रही हूं। छोड़ो कुछ भी हो वह पहली बार मुझे

कुछ मांगा है मैं जरूर उसकी मदद करूंगी। शेखर मानवी को आवाज देते हुए बोलता हैं कहां खो गई। मानवी झूठी हंसी से बोलता है वह

कहीं नहीं ।वो बातें में भूल गई वैसे भी जरूरी नहीं थी। तुम चिंता मत करो मैं तुम्हारी मदद करूंगी शेखर मानवी की बात सुनकर बहुत खुश

होता है । मानवी बस अपना आंसू छुपा कर बस शेखर को ऐसे खुश होते हुए देख रही थी। मानवी शेखर से बोलती है अच्छा में अब जा रही

हूं। मुझे कुछ काम है। शहर के बोलने से पहले वह वहां से जल्दी से जाने लगती है ।शेखर उसे ऐसे जाते देखकर बोलता है इतना जल्दी में

कहां जा रही है और मुझे उसे देखकर दिल में दर्द क्यों महसूस हो रहा है ।ऐसा लग रहा है कुछ गलत हुआ है। शेखर सोच में डूबा ही हुआ था

कि तभी अमन आकर बोलता है क्या हुआ इतना सोच में क्यों डूबा हुआ है। मानवी ने मना कर दिया है क्या। शेखर मन मैं बोलता है मैं ज्यादा

ही सोच रहा हूं ।फिर खुश होते हुए बोलता है मुझे सेलिब्रेट करना चाहिए ।आज मेरा इतना अच्छा दिन है ।फिर वह अमन की और देखते हुए

बोलता है चलो हम लोग कहीं चलते हैं सेलिब्रेट करने ।आज मैं तुम्हें अपनी तरफ से ट्रीट दूंगा। अमन बोलता है तुम्हारी खुशी देखकर लग रहा

है कि मानवी मान गई है ।तो शेखर बोलता है सिर्फ मान ही नहीं गई वह मेरी मदद भी करेगी मुझे और निशा को मिलने में। अमन बोलता है

अच्छी बात है मैं तुम्हारे लिए बहुत खुश हूं लेकिन मैं तुम्हारे साथ नहीं जा सकता। क्योंकि मुझे कुछ काम है ।शेखर बोलता है जरूरी काम है

क्या। अमन बोलता है हां मुझे आज बहुत जरूरी काम है ।प्लीज तुम बुरा मत मानना ।शेखर बोलता है इसमें बुरा मानने की क्या बात है तुम

जाओ ।अमन शेखर को बाय करते हुए चला जाता है। शेखर बोलता है कोई बात नहीं मैं अपने से ही अपनी खुशियां सेलिब्रेट करूंगा। उधर

मानवी बाथरूम में अपनी आंसू को जो रोक कर रखी थी ।अब वह आंसू रूकने का नाम भी नहीं ले रहे थे। मानवी रोते हुए बोलती है मैं

इतनी बेवकूफ कैसे हो सकती हूं। उस बचपन का वादा को सच मानने की क्या जरूरत थी ।वह तो हम लोग बचपन में वह सब बातें की थी

जिसे मैं सच मानकर अभी तक उसका वेट कर रही थी। शेखर तो बस मुझे एक अच्छा दोस्त समझता है और मैं सोच रही थी वह मेरे लिए

यहां आया है। वह बचपन का वादा निभाना जिसे मैं सच मान कर बैठी थी ।उससे तो याद भी नहीं होगा कि हम लोगों ने कोई वादा भी किया

था। फिर मानवी अपना आंसू पूछते हुए बोलती है तू रो क्यों रही है तू रो मत तो चुप हो जा। फिर अपने दिल में हाथ रख कर बोलती है यह

इतना दर्द क्यों हो रहा है ।ऐसा लग रहा है कि वो धड़कन ना चाहत हो। मानवी अपने गाल में थप्पड़ मारकर बोलती है तो चुप हो जा फिर वह

पानी से अपना मुंह बार-बार धोने लगती है और रोते हुए एक कोने में बैठ जाती है। फिर कुछ देर बाद मानवी बाथरुम से बाहर निकाल कर

चेहरे में झूठी स्माइल लेकर बोलती है ,अब बस बहुत रोलिया अब जो वादा कि हो शेखर से वह वादा पूरा करो। फिर वह क्लास की तरफ

जाने लगती है। क्लास में जाकर देखते हैं शेखर अपने दोस्तों के साथ हंसी मजाक आ रहा था। मानवी बोलती है मुझे बस शेखर से काम की

बातें तक ही बात करनी चाहिए ।अगर मैं उससे काम की बातें तक बात करूंगी और मैं उसे इग्नोर करूंगी तो इससे मैं अपने आप को संभाल

पाऊंगी। इतना बोलती ही क्लास में जाकर अपने सीट पर बैठ जाती है। मानवी देखती है की शेखर उसे देखकर मुशुकराया । तो मानवी

उसको इग्नोर करती है। मानवी को ऐसे करते देखकर शेखर मन मे बोलता है क्या मानवी ने मुझे अभी देखकर इगनोर किया क्या । फिर

बोलता है मैं ज्यादा ही सोच रहा हूं उसने मुझे देखा ही नही होगा । तभी टीचर क्लास में आकर पढ़ाने लगते है ।सभी बच्चे शांत होकर टीचर

का लेकचर सुन रहे थे उधर आरव निशा के बारे में सोच सोचकर परेशान हो रहा था कि में निशा से कैसे बात कटर । मेरा मोबाईल भी नहीं है

मेरे पास जिससे में उसे कॉनटेक्ट कर सकु । मुझे जरूर कुछ करना होगा मुझे कही से भी फोनलेकर निशा से कॉनटेक्ट करना होगा उधर

निशाक्लास में लेकचर सुन रही थी और मन में बोलती है। कल से आरव का फोन नही लग रहा है कहाँ होगा आखरी बार हमलोग ने गार्डन

में ही बात कि थी और से कुछ बात भी करनी थी । पता नहीं कहाँ है वह निशा अपना फौन बार बार बार देख रही थी कही आरव ने फोन तो नहीं किया हैना................

LIKE COMMENT SHARE AND FOLLOW ME GUYS 🥰🥰🙏♥️
© Mahiwriter