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#मास्क बनाम मुखौटा..
#मास्क
दिल्ली मेट्रो में आपका स्वागत है, कृपया पीली रेखा का ध्यान रखें..!, मेट्रो से आने वाले यात्रियों को पहले उतरने दे, दिल्ली मेट्रो में सफर करते वक्त फेस मास्क पहनना अनिवार्य है, ये सूचनाएं गूंज रही थी। राजीव चौक मेट्रो रोजाना की तरह आज भी शहर की एक आबादी की रौनक के साथ सजा हुआ था। साहिल food court में मजे से मोमोज का आनंद ले रहा था। खाना खत्म हुआ, उसने पैसे दिए और टिस्सू पेपर से हाथ- मुंह पोछते हुए मस्त चाल से बाहर निकलकर yellow line के तरफ जा ही रहा था ; कि दिल्ली पुलिस के एक हवलदार ने उसका हाथ पकड़कर एक तरफ चलने को इशारा कर दिया...!!
यकायक साहिल का दिमाग चौंक गया, उसे झटके के साथ याद आया, कि..' पीला रंग 'अतिविषैले' का संकेत करता है...! लालरंग के 'खतरनाक' से भी आगे.!!'
वह तुरंत सचेत हो गया । हवलदार का जैसे धन्यवाद मान कर वह चल दिया । कुछेक कदम चला होगा, कि भीड़ को देखकर उसका कौतुहल भी उसे जानने की इंतेजारी में तबदील हो गया । वह धीरे से भीड़ में जा मिला। यहां क्या हुआ है ? - यह जानने का प्रयास करने लगा। लेकिन उग्र भीड़ की चहल - पहल उसमें बाधा बनी खड़ी थी। उसने देखा तो सडक पर कोई हादसा हुआ मालूम पड़ता है। शायद किसी की मौत हो गयी है।
दिल्ली जैसे शहरों में सड़क हादसे में अक्सर लोगों की मौतें तथा भीड़ का जमावड़ा होना.. सब एक सामान्य सी बात बन पडी है। बढती जाती जनसंख्या, यातायात और मानव की संवेदनहीनता.... रोजमर्रा की ऐसी नगण्य.. बातों को तुच्छ समजकर ज्यादा ध्यान नहीं देती। एक दो घण्टों के बाद सब सलामत जैसा माहौल बन जाता है..!!
साहिल ने देखा, कि सडक के किनारे कोई अधखुला और अधजला सूटकेस पडा हुआ है। पुलिस ने इस जगह को कोर्डन कर लिया है फिर भी लोग भारी तादाद में इकट्ठे हो चुके हैं। लगता है-किसी ने बेरहमी से कोई स्त्री की हत्या कर, उसके नंगे बदन के अनेक टूकडे करके.. सूटकेस में बंध कर.. रोड के किनारे फेंक दिया है । 'क्या जमाना आ गया है ? लोग जैसे- जैसे सभ्य और शिक्षित होते जाते हैं... वैसे वैसे अधिक घातकी और क्रूर बनते जाते है ।' मन ही मन वह सोच रहा था। कुत्सित मृतदेह को देखकर उसके पेट में बल पड रहा था।
साहिल अपने आप को जैसे तैसे संभाल ही रहा था, कि उसकी नजर अनायास मृतदेह के अधजले चेहरे पर पड गई... उसको लगा, कि उसको वह जानता है। दिमाग पर जोर देने पर इसे सबकुछ याद आने लगा। वह उसकी हमपाठी संध्या थी।
जो पीछले तीन साल से अपने परिवार को छोडकर कहीं नौकरी कर रही थी। पुलिस के पुछने पर भी उसने कुछ नहीं कहा। क्योंकि उसे पता था, कि पुलिस पढे लिखे लोगों से पुछताछ में भी गून्हेगार की तरह पेश आती है। पुलिस के झमेले में पडने से वह हैरान हैरान हो जायेगा... यह सोचकर वह चूप रहा।
उसे कॉलेज के वो दिन याद आये। कक्षा में तेज तर्रार पढना - लिखना तो ठीक.. कोई भी प्रवृत्ति हो या कोई प्रतियोगिता.. वह हर इवेंट की शोभा थी। वह दूसरे शहर के कोलेज के सिनियर के साथ रीलेशन में थी यह बात भी कॉलेज के सभी छात्र जानते थे। कई सालों के बाद वह शहर छोड गई थी, तो आज यहां कोई कैसे जानता ..? साहिल का मन बिते सालों में संध्या के साथ क्या.. और कैसे हुआ होगा ? - उसका क्यास लगाने लगा । एक होनहार लड़की कैसे... किसी क्रूर हाथों की बलि हो गयी ..? - यह सोच सोचकर उसे रोना आता था। वह बेचैन था।
उधर पुलिस ने इस लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और लडकी के बारे में जानकारी जुटाने में लग गई। मिडिया में बढा चढाकर 'लावारिस लाश' को लेकर हाहाकार मच गया। साहिल का मन कभी पुलिस की मदद करने की सोचता तो कभी अपने पर होनेवाले पुलिस के बेतूके सवालों से होनेवाली झुंझलाहट से डरता। असमंजस की स्थिति में वह वहाँ से खिसक लिया अपने आफिस की ओर।
बहुत प्रयास करने पर भी उसका मन काम में नहीं लग रहा था। शायद वह छुट्टी लैकर घर चला जाये तो थोडा आराम मिलेगा ... यह सोचकर वह घर चला गया।
थोड़ा फ्रेश होकर वह समाचार देखने लगा और टी वी पर ब्रेकिंग न्यूज़ चल रहे थे।... " समाज में अनाचार का बूरा अंजाम..!"... "दो साल से घर से भागकर विधर्मी के साथ रीलेशन में रह रही शहर की होनहार लडकी संध्या का अपने ही प्रेमी ने किया कत्ल...!!".... "भ्रष्ट जमाने ने पवित्र प्रेम को भी नहीं छोडा...!". ". बदलते मूल्यों को क्या समाज पचा पायेगा ?"..." आधुनिकता के नाम पर गूमराह नई पीढ़ी.. विनाश की राह पर..! ".. " लाचार माता पिता ना समाज में. मुंह दिखाने लायक बचते हैं, ना हि अपने आप को संभालने लायक ।..!!" आदि.. आदि।
साहिल चैनल बदल कर उसके मन के बोझ को हल्का करना चाह रहा था, कि अचानक उसकी नजर भीड़ में खडें मुंह पर मास्क पहने एक चेहरे पर पड़ी। उसका दिमाग फिर दबाव में आ गया। उसकी भीतर धंसी हुए विकल आंखों को वह जैसे जानता है.. बहुत प्रयत्न करने के बाद उसे याद आया ।
वह भागकर पुलिस के पास पहुंचा जिससे वह पहले कतराता था। लेकिन बल इकट्ठा कर के उसने उस मृत संध्या के हत्यारे को सजा दिलाने का निर्णय कर लिया । उस मास्क की पीछे छुपे हत्यारे के बारे में पुलिस को जानकारी दी तो पुलिस तिलमिला गई और उसके गले में फांसी का फंदा कसने के लिए तत्काल रवाना हो गई। वह ओर कोई नहीं बल्कि संध्या का प्रेमी बनकर शोषण करनेवाला दिलफेंक आशिक निकला। उसकी सभी चालाकियां पुलिस की टोर्चिंग के आगे फैल हो गई।
दूसरे दिन समाचार में प्रेमी हत्यारे की धर पकड़ होने के समाचार सूनकर साहिल को सुकून मिला । कम से कम एक मानवीय संवेदना अपनेआप में बचाये रखने का सुकून.!!





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