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अन्नदान
क्या आप जानते हैं दुनिया में सबसे बड़ा गुनाह क्या है??
कोई कहेगा चोरी करना
कोई कह सकता है झूठ बोलना,धोखा देना
और ऐसे ही इस फेहरिस्त में एक के बाद एक
गुनाह जुड़ते जाएंगे।
लेकिन दोस्तों,जो मैं आज आपसे साझा करने जा रही हूं यकीकन आप सब मुझसे सहमत होंगे कि दुनिया में सबसे बड़ा गुनाह है खाने की चीज़ें बर्बाद करना, मतलब खाद्य पदार्थ को फेंकना या उनका अनादर करना। हम सब ये भलीभांति जानते हैं कि दुनिया में ऐसे कई ग़रीब देश हैं जहां पर लोगों के पास खाने के लिए दो वक़्त का खाना तक नसीब नहीं होता। हमने हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में, ऐसे कई लोगों को भुखमरी से मरते देखा है। बच्चे अक्सर ऐसे में कुपोषण का शिकार होते हैं क्योंकि उन्हें भरपेट खाना नहीं मिलता तो वहीं गर्भवती महिलाएं, जिन्हें संतुलित आहार लेना होता है, अक्सर प्रसव के समय दम तोड़ देती हैं क्योंकि उनमें खाने के अभाव से कमज़ोरी हो जाती है। ये तो हुई सिक्के के एक पहलू की बात।
अब आइए बात करते हैं सिक्के के दूसरे पहलू के बारे में जिनमें हम और आप जैसे लोग आते हैं। हम अक्सर जब रेस्तरां या होटल पर खाना आर्डर करते हैं तो अधिकांश समय खाना शेष बच जाता है और फिर बाद में वो खाना कहां जाता है, क्या कभी किसी ने सोचा है इस बारे में?
कहीं और नहीं, सीधे कूड़ेदान में जाता है वो बचा हुआ खाना। तो भाइयों और बहनों,हम क्यों न आर्डर करते समय थोड़ा दिमाग़ का इस्तेमाल करे और उतना ही आर्डर करें जितने की हमें ज़रूरत है। और चाहिए तो बाद में भी मंगवाई जा सकती है। कम से कम खाना बर्बाद होने के बजाय किसी भूखे के नसीब में तो जाएगी।
और ऐसी ही सीख अपने बच्चों को भी दें कि अन्न का आदर करें,न कि अनादर।
रही बात घर की,तो घर पर भी इस बात को ध्यान में रखकर खाना बनाना चाहिए।
और सबसे ज़रूरी बात, हमें उस ऊपरवाले का धन्यवाद करना चाहिए हर रोज़ कि उन्होंने हमें इस खूबसूरत ज़िंदगी से नवाजा़ जहां हमें भरपेट खाने को तो मिलता है,बिना किसी के आगे हाथ फैलाए। तो क्यों ना हम सब हर रोज़, सिर्फ एक पहर,चाहे सुबह हो,या दोपहर या फिर रात, किसी ज़रूरतमंद को खाना खिलाएं ताकि़ उनकी दुआओं से हम पर बरकत़ बनी रहे।
क्यों कि किसी भूखे को खाना खिलाने से बड़ा पुण्य और कुछ नहीं। मैं यहां पर एक बात ज़रूर शेयर करना चाहूंगी,कि मैं अपने परिवार वालों के साथ कयी बार गुरुद्वारे जाया करती थी जब मैं छोटी थी, मुझे वहां जा कर सच में इतनी शांति मिलती थी,जब लोगों को जात पात से परे, एक साथ,एक ही लंगर में बैठ खाना खाते देखती थी,मेरी आंखें भर आया करती थी। तो क्यों न हम भी ऐसे ज़रूरतमंदों की मदद करें, उन्हें एक समय का खाना खिला कर। वैसे तो हम पैसे ऐसी वैसी चीजों पर लगाया करते हैं, क्यों ना इस बार कुछ नया करें और दुआओं का पात्र बनें।
सच कहती हूं सुकून मिलेगा।
सोचिएगा ज़रूर।
धन्यवाद 😁🙏
© Aphrodite