चूडियां पहन लेना - कायरता नहीं, बहादुरी का प्रतीक
एक कहावत है - चूडियां पहन लेना अर्थात् कायरता प्रदर्शित करना..... मैं इस कहावत के विरोध में हूं चूडियां पहन लेना कोई कायरता नहीं बहादुरी का प्रतीक है।
एक औरत ही होती है जो काम से लौट कर भी काम करती है, एक औरत है जो पूरे घर को बांधे रखती है, एक औरत ही टूटे पति का हौसला होती है, एक औरत ही होती है जो पुरुष में उम्मीद जिंदा रखती है, एक औरत ही है जो बच्चों को संस्कार देती है, एक औरत ही है जो नव पल्लव का निर्माण करती है।
इतिहास गवाह है देश में वीरांगनाओं ने किस तरह युद्ध के मैदान में डट कर दुश्मनों का सामना किया और आज के युग में औरत किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं... वो हर क्षेत्र में पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है।
फिर कैसे, किसने ये कहावत बना दी......?
चेतन घणावत स.मा.
साखी साहित्यिक मंच, राजस्थान
© Mchet143
एक औरत ही होती है जो काम से लौट कर भी काम करती है, एक औरत है जो पूरे घर को बांधे रखती है, एक औरत ही टूटे पति का हौसला होती है, एक औरत ही होती है जो पुरुष में उम्मीद जिंदा रखती है, एक औरत ही है जो बच्चों को संस्कार देती है, एक औरत ही है जो नव पल्लव का निर्माण करती है।
इतिहास गवाह है देश में वीरांगनाओं ने किस तरह युद्ध के मैदान में डट कर दुश्मनों का सामना किया और आज के युग में औरत किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं... वो हर क्षेत्र में पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है।
फिर कैसे, किसने ये कहावत बना दी......?
चेतन घणावत स.मा.
साखी साहित्यिक मंच, राजस्थान
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