...

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mujhe khna nhi aata par btata jrur hu
किसी को क्या खबर यहाँ क्यों चला आता था
जो अख्तियार से परे था उसे भुलाने आता था!

ना नजर रखो मुझ पे मेरे अहबाब मेरे दुश्मन
जो मैं नहीं वही सबको बताने आता था!

रफ्तार तेज थी कभी पर जब मैं थकने लगा
पंख लगा के गैरो के मैं खुद से मिलने आता था!

मेरे बातों से मेरे जज्बातों का अंदाज़ा मत लगाना
गलत के साथ बैठ कर भी मुस्कुराने आता था!

कोई परेशान दिखे तो खुद को देखा करता था
मत समझना कोई के सिर्फ दिल लगाने आता था!

करके कत्ल ख्वाहिशो का सितम खुद पे ढाये है
थोड़ा थोड़ा करके मैं आंसू बहाने आता था!

यकीन नही होता लोग ऐसे भी गुमराह करते है
साथ चलते है मगर गैरो को भी देखा करते है!

नाराज नही औरो से, ना नफरत मुझे खुद से है
पूछते है वादे क्या सच मे निभाने आता था!

कुछ अपने दूर हो गये बाबा भी जहाँ से चले गये
वक़्त हमारा बदलेगा समझाने खुद को आता था!
---Danish (ppt)