बोलती है जब कलम ✒
बोलती है जब कलम , डोल उठता है सिंहासन
बड़े से बड़े तानाशाहों का टूट जाता है भ्रम ।।
चलती है जब कलम , करती है शस्त्रों का काम ।
तलवार जो कर ना पाए , कर देती है कलम ।।
कलम की स्याही जब झरति है ।
पीड़ितों की ...
बड़े से बड़े तानाशाहों का टूट जाता है भ्रम ।।
चलती है जब कलम , करती है शस्त्रों का काम ।
तलवार जो कर ना पाए , कर देती है कलम ।।
कलम की स्याही जब झरति है ।
पीड़ितों की ...