"आजाद देश का गुलाम" (अंतिम भाग -३)
दूसरे दिन सुबह तैयार होकर राहिल ऑफिस चला गया शाम को जब वह ऑफिस से लौट रहा था तो वापस फिर वही स्ट्रीट फूड सेन्टर पर रूक गया और दो समोसे खरीदें और खानें लगा तभी उसके कानों में एक हल्की सी सरगोशी उसे सुनाई दी " क्यों नहीं चलोगे मेरे साथ?" राहिल के माथे पर पसीने की बूंदें उभर आई,मगर अगले ही पल खुद को संयत कर वो पैसे देकर चलने लगा और धीरे से बोला तुम कहां हो? तभी उसे राजवीर दिखाई देने लगा फिर राहिल ने धीरे से कहा हां चलूंगा तुम्हारे साथ और वह यंत्र चलित राजवीर के पीछे पीछे चल पड़ा।
चलते चलते दोनों काफी दूर निकल आएं राहिल मन ही मन अपने खुदा को...
चलते चलते दोनों काफी दूर निकल आएं राहिल मन ही मन अपने खुदा को...