नैनों से अश्रु छलक जाते हैं।
" माँ"
यह शब्द स्वयं में सृष्टि के सृजन का पर्याय है । आज ही के दिन 8 अक्टूबर 1982 को हमारी पूज्यनीय माता जी इस नश्वर जगत से मोह माया को त्यागकर स्वर्गवासी हो गई ।
माता - पिता की अभिव्यक्ति अपने में एक पूर्ण अभिव्यक्ति है | और इनके जाने के पश्चात स्वतः जो मन के भाव प्रस्फुटित हुये वो इस प्रकार हैं-
'"नयनों में...
यह शब्द स्वयं में सृष्टि के सृजन का पर्याय है । आज ही के दिन 8 अक्टूबर 1982 को हमारी पूज्यनीय माता जी इस नश्वर जगत से मोह माया को त्यागकर स्वर्गवासी हो गई ।
माता - पिता की अभिव्यक्ति अपने में एक पूर्ण अभिव्यक्ति है | और इनके जाने के पश्चात स्वतः जो मन के भाव प्रस्फुटित हुये वो इस प्रकार हैं-
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