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#वोट
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चाय की टपरी में आज काफी गहमा गहमी है। बनवारी लाल हाथ में अख़बार लिए पढ़ रहे और हर एक ख़बर पर चाय की चुस्कियों के साथ चर्चा हो रही। जैसे चुनाव के दल वैसे ही चाय की दुकान भी दो हिस्सों में विभाजित हो गई थी।
कोई आम आदमी पार्टी का समर्थन कर रहा था तो वही दूसरी ओर कुछ लोग भाजपा पार्टी का । वो क्या है न जनता को सब कुछ मुफ्त में लेने को आदत हो गई थी बिजली फ्री , पानी फ्री ,महिलाओं के लिए बस यात्रा फ्री ।अब लोगो को फ्री का माल़ तो पसंद है लेकिन ये नही पता की उसकी कीमत हमसे ही टैक्स के रूप में वसूल कर ली जाती है ।मुफ्त में आजकल कुछ नही मिलता ये बनवारी लाल का कहना था यह सुनकर माहौल बहुत गरम हो गया और लोगो के बीच आपसी कहासुनी होने लगी यह सब बाते चाय की दुकान पर काम करने वाला 14 वर्षीय छोटू सुन रहा था उसने बनवारी लाल से पूछा की क्या भाजपा पार्टी आपकी है तो बनवारी लाल ने जवाब दिया "नही तो" । तो चाचा जी आप क्यों इतना लड़ रहे है आपकी लड़ाई से मेरी चाय का स्वाद भी फीका हो गया "छोटू ने कहा" यह सुनकर बनवारी लाल हसने लगा, तो छोटू ने कहा की
"वोट देना सभी का अधिकार है और वो किसे वोट देना चाहते है यह चुनाव भी उन्ही का होना चाहिए । सभी का अपना अपना दृष्टिकोण होता है । इसलिए चाचा जी लड़ाई करने से कुछ नही होता हो सकता है जो बाते आप समझ सकते है वो दूसरे नही समझ सकते इसलिए लड़ना बंद कीजिए" यह सुनकर बनवारी लाल हैरान हो गया और उसे शाबासी देते हुए कहा "तुम इतनी सी उमर में इतनी समझदारी वाली बाते करते हो और तुम्हे तो राजनीति की भी अच्छी खासी समझ है " तो छोटू ने बताया की "मैं अपने खाली समय में पुरानी पुस्तके और अखबार पड़ता हूं क्यों की में बड़ा होकर एक नेता बनना चाहता हूं ताकि देश का कल्याण और सही मार्गदर्शन कर सकूं, यह सुनकर बनवारी लाल को उसपर बहुत गर्व हुआ , बनवारी लाल ने कहा की एक दिन तुम जरूर एक सफल नेता बनोगे यह कहकर बनवारी लाल वहां से चला गया ।

© nishu