...

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एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में एक दास्तान।।
वैशया -ने अचानक शेखर का हाथ पकड़ते हुए कहा -नही साहब रहने दो वैसे भी मुझे एड्स है !

शेखर आश्चर्य से बोला -क्या! क्या कहा तुमने ?

वैशया -साहब मुझे एड्स है !

शेखर आश्चर्य से बोला -तो मुझे पहले क्यों नहीं बताया तुमने?
जब मैं सब कुछ कर लेता उसके बाद बताती ?

वैशया -साहब आप भले मालूम पड़ते हो, इसलिए यह पाप करने से रूक दिया ! अगर आपको भी मेरे वाली बीमारी लग जाती तो मैं पूरी जिंदगी अपने आप को माफ नहीं कर पाती!

शेखर को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था वह क्या करे ! वैशया के मुंह पर तमाचा मारे या फिर उसे सहानुभूति दिखाए ! काफी समय खामोश रहने के बाद शेखर ने अपनी चुपी तोड़ते हुए बोला -तो इसका मतलब जो मर्द मेरी तरह भले नहीं होते तुम उनको यह बीमारी देती हो?

वैशया -हा साहब मैं उनको यह बीमारी तोहफे में देती हूं ,जिस से वे मुझे पूरी जिंदगी नही भूल पाते।।
#असंभावी।।
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