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Zindagi Ek Paheli Part 3



"मैरी कहा हो यार भूख लगी है।"

जूही की आवाज ने मुझे मेरे पास्ट से बाहर निकाल दिया। आज जूही कॉलेज से जल्दी आ गई।

"क्या सोच रही हो पापा की याद आ गई क्या मुझे वी आ जाती है कभी कभी लेकिन फिर मैं अपने आप को समझाती हूं कि अब वो नहीं आएं गए तो क्या फायदा लेकिन यार तुम ऐसे उदास मत हुआ करो अब हम उन्हें जितना भी याद करें वो कभी लौट कर तो नहीं आ सकते जो लोग अब इस दुनिया में नहीं है उने याद कर के दुःखी क्यों होना ।चलो अब जल्दी से खाना दो मुझे बहुत भुख लगी है।चलो चलो जल्दी करो"

"देती हूं तुम पहले ये बताओ कि आज तुम जल्दी कैसे आ गई"

"बोलो मेरा बच्चा आज अगर जल्दी कैसे आ गई"

"कैसी मां हो यार बेटी जल्दी घर आ गई तो सवाल जवाब क्या यार"

" मैं मां हूं तेरी बता जल्दी क्यों आईं आज फिर किसी से झगड़ा किया तुं ने सच सच बोलना"

जूही ने नजरें इधर उधर घुमाते हुए कहना शुरू किया " वो .... मैं.... वो ... ना... क्या था......."

"क्या ये वो सीधे सीधे बताऊं" मैंने थोड़ा गुस्से में कहा

"अरे यार हो गया झगड़ा मैं क्या करती वो लोग तुम्हें बारे बहुत ग़लत बोल रहे थे तो मैंने सालों को ठोक दिया"

इतना बोल नजरें चुराते हुए जूही जाने लगी

"ये किस तरीके से बात कर रही हो कहा जा रही हो मेरी बात सुनो पहले जूही यहां आओ"

जूही जाते जाते एक दम रुक गई और मेरी तरफ देख कर बोलने लगी

" मैं एक बात बताना भुल गई कल तुमे काॅलेज में इन्वाइट किया है चली जाना"

"खाना खाया नहीं क्या कर कर आई है अब कल ही पता चलेगा। काश अभिनव यहां होता तो इसे समझाता मेरी बात तो ये अनसुनी कर देगी"

मुझे अभिनव याद आ रही थी मैं अपनी यादों में खोने ही बाली थी। दरवाजे की घंटी बज गई और मैं अपनी यादों की दुनिया में जाते जाते वापिस आ गए। दरवाजे पर अभिनव था उसे देखकर मुझे थोड़ा हौसला हुआ अभिनव ने मेरे चेहरे की उदासी देखकर बोला

"आज फिर मां बेटी में झगड़ा हो गया"

"वो मेरी तो सुनती नहीं, मैं थक चुकी हूं उसे समझा समझा कर अब तुम ही उसे समझाओ यूं रोज रोज झगड़ा ना करें , अपने गुस्से पर कंट्रोल करे"

"मैं बात करूंगा"

" और हां इनविटेशन आया है कल काॅलेज जाना है तुम्हारी लाडली के कारनामे के ईनाम मिलेगा"

"तुम शांत रहो मैं सब हैंडल कर लूंगा"

" थैंक्स यार अगर तुम ना होते तो हम दोनों एक दम अकेले पड़ जाते"

"बस हां अब ये फॉर्मेलिटी मत करो मैं जूही को लेकर आता हूं तुम खाना लगाऊ आज साथ में खाना खायेंगे"

"ठीक है"

अगर अभिनव ना होता तो मुझे जूली को संभालना मुश्किल हो जाता। जूली अभिनव को बहुत मानती है कभी उसकी कोई बात नही टालती। मुझे भी थोड़ी संतुष्टि रहती की चलो मेरे साथ न सही लेकिन किसी के साथ तो जूली अपनी बातें शेयर करती है। वो अंदर ही अंदर घुट नहीं रही।

अभिनव ने जैसे तैसे जूली को मना लिए लेकिन खाना उसने फिर मुंह बनाकर ही खाया। खाना खा अभिनव ने कुछ बातें की और अपने घर चला गया।

अभिनव के जाने के बाद मैं जूली के कमरे में जा रही थी की मुझे उसके रोने की आवाज आने लगी:

वो रोते होए बोल रही थी "पापा आप क्यों हमे छोड़ कर चले गए, अगर आप हमारे साथ होते तो लोग हमारे बारे में ऐसी बातें ना करते, आप हमें क्यों छोड़ कर चले गए, क्या आप हमसे प्यार नही करते थे मैंने कभी मम्मी को नही कहा पर मुझे भी आपकी कमी खलती है आप चले गए हमें छोड़ कर क्या आपने कभी सोचा की हम दोनों कैसे रहे गए कभी कभी मुझे लगता है की मम्मी को मेरी बजा से छोड़ गए, I hate you papa..."

जूली की बातें सुन कर मेरी उससे बात करने की हिम्मत खत्म होगी मैं वहा से वापिस तो आ गई लेकिन मेरे दिमाग में वही बातें चल रही थी। मेरे दिमाग मैं भी जाहि बातें चल रही थी की अगर कभी उसे पता चला कि उसकी एक बेटी है क्या वो उसे प्यार करे गा क्या वो उसे मुझसे दूर कर देगा। नही ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला।

फिर मैं जूली के बारे में सोच ने लगी की जूली बिल्कुल उसके जैसे हैं। उसके जैसा गुस्सा हैं बिल्कुल उसके जैसे आंखे है कोई देखे तो देख कर ही बता दे की ये उसकी बेटी हैं। कभी कभी तो मुझे भी जूली के गुस्से से डर लगने लगता हैं। कभी कभी मैं सोचती हूं की अगर सब ठीक होता हम सब साथ होते तो कितना अच्छा होता। काश! उसने मुझे धोखा न दिया होता। लेकिन ये सब बातें मैं सोच ही सकती थी।

ये सब बातें सोचते मैं अपने कमरे मे आ गई मैं अपने पास्ट के बारे मे सोच ने लगी की कितने अच्छे दिन थे वो हम सब कितने खुश थे कितनी मस्ती करते थे लेकिन किस्मत ने तो कुछ और ही सोच रखा था। मैं मेरे ज़िंदगी में बहुत खुश थी लेकिन मेरा आज मेरे कल से बिल्कुल जुदा था मै अपनी सोच में ही घूम थी के इतने में मेरे फोन पर notification ki आवाज से मेरी सोच पर विराम लगा।

मुझे अभिनव का मैसेज आया था उसने लिखा था "मैडम सो जाओ और कितना सोचना मैं हूं ना don't worry everything will be alright"

Massage देख कर मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई। सच ही तो कहा था अभिनव ने वो है। अगर वो न होता पता नहीं हम दोनों मां-बेटी का क्या होता। यही सब सोचते सोचते अब मुझे कल का डर लग रहा था कि कल क्या होगा, मुझे ये भी पता था की वो मुझे कभी साथ नहीं लेकर जाऐ गई क्योंकि की वो डरती कहीं कोई मुझे कुछ बोला ना दें, कहीं मुझे कुछ हो ना जाएं। वो मुझेप्यारही इतना करती हैं अबी तो मुझे कल की टेंशन हो रही थी क्या होगा कल।


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