...

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वर्ष के आखिरी दिन
कुछ ऐसे लोग होंगे जो सोच रहे होंगे,
आखिर ये वर्ष भी बीत गया और मेरे सपने अभी भी आँखो के दहलीज पर ही रह गये।
परन्तु इससे निराश होने की जरूरत नहीं है..
इस एक वर्षो में आपने क्या खोया ये मायने नहीं रखता...।
बल्कि आपने उससे क्या सीखा ये मायने रखता है क्योंकि आपको पता नहीं होगा की, आप उसे सुधारने की कला भी सीख गयें हैं।
मानतीं हूँ की कुछ सपनें ऐसे होंगें जो मन की पराकाष्ठा पर तो थे पर पूरे नहीं हो सके..
उन सपनों को आँखो से उतरने के बजाय आँखों में ही बसे रहने दो... वर्ष का अन्तिम दिन ही तो बीता है पूरी जिन्दगी तो नहीं..
क्यों सोचना की कुछ रिश्तें हमसे दूर हो गये,
जो रिश्ते हैं टूटे हैं उन्हे जोडो़, परन्तु जिनको किमत नहीं आपकी उनको छोड़ो..।
क्यों सोचना हमने इस वर्ष बहुत कुछ गवां दिया.. कुछ रिश्तें हमसे टूटे और सपनों को भी अन्तिम सांसों में सुला दिया।
खुश होकर अलविदा कहो इस वर्ष के आखिरी दिन को।।