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चिट्ठी का राज
#चिट्ठी
निकिता और सुप्रिया बचपन की बहुत अच्छी दोस्त थी दोनों ने एक साथ ही अपनी पढ़ाई पूरी की दोनों इतनी घनिष्ठ मित्र थी।कि अपनी बात एक दूसरे को शेयर करती रहती थी।निकिता और सुप्रिया के माता-पिता भी बहुत अच्छे दोस्त थे। निकिता और सुप्रिया अपना ज्यादा से ज्यादा समय एक दूसरे के साथ ही व्यतीत करती थी।एक दिन निकिता के लिए शादी का प्रस्ताव आता है।और निकिता के घरवाले निकिता की शादी उस घर में करवा देते हैं।निकिता शादी कर के अपने ससुराल चली जाती है।कुछ समय बाद सुप्रिया की भी शादी हो जाती है दोनों ही अपने ससुराल में अपना जीवन अच्छे से व्यतीत कर रही होती हैं।दोनों अपने ससुराल में चली तो गई होती है।पर अभी भी दोनों एक दूसरे के संपर्क में रहते हैं।
एक दिन सुप्रिया निकिता से मिलने के लिए उसे बुलाती है।और कहती है कि उसे उसको कुछ बात बतानी है तब निकिता पूछती है कि ऐसी क्या बात है।तुम मुझे कॉल में ही बता दो तो सुप्रिया कहती है।नहीं तुम मुझसे मिलने आओ मुझे उस चिट्ठी और निखिल के बारे में कुछ पता चला है। जबसे सुप्रिया ने निकिता को यह बात कह कर मिलने के लिए बुलाया था।तब से निकिता बहुत बेचैन थी।और सुप्रिया के कहने पर निकिता उससे मिलने के लिए लाइब्रेरी पहुंच जाती है क्योंकि उसे भी उस चिट्ठी के बारे में जानना था। कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि उस दिन निखिल उसे लेने नहीं आया।
निखिल वह लड़का था जो निकिता के साथ ही कॉलेज में पढ़ता था।निकिता और निखिल दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। निखिल को निकिता के माता पिता बिल्कुल भी पसंद नहीं करते थे। उन्होंने निकिता का विवाह कहीं और तय कर दिया।निकिता निखिल को कहती है। की वह उसी के साथ विवाह करना चाहती है।निकिता की शादी वाले दिन निखिल उसको वहां से भागाकर लेकर जाने वाला था।पर किसी कारण वो वहां नहीं पहुॅंच पता है। और निकिता का विवाह वहां हो जाता है।जहां उसका रिश्ता तय हुआ होता है।
लाइब्रेरी में बैठी निकिता किताब के पन्नों को पलट रही थी।और बहुत ही बेसब्री से सुप्रिया के आने का इंतजार कर रही थी। कुछ समय बाद सुप्रिया वहां पर चिट्ठी लेकर पहुॅंच जाती है। सुप्रिया वो चिट्ठी निकिता को दे देती है। और निखिल के बारे में उसे बताती है।निकिता उस चिट्ठी को पढ़कर फूट-फूटकर रोने लगती हैं। सुप्रिया निकिता को बताती है।कि निखिल उससे मिला था और उसने ही कहा की वह उसे लेने के लिए वहां आया था।और उसे यह चिट्ठी भी भेजी थी। की वो बाहर आ जाए पर शायद वो चिट्ठी उस तक पहुंचने ही नहीं दी गई और उसके घर वालों ने उसे लड़कों से मारपीट करवा कर वहां से उसे सीधा हॉस्पिटल पहुंचा दिया था। उस दिन निकिता को निखिल की पूरी सच्चाई पता चलती है।
चिट्ठी में निखिल ने लिखा था की वो बाहर खड़ा है वो बाहर आ जाए।ये जानने के बाद निकिता को बहुत अफसोस होता है।निकिता को बाद में एहसास हुआ आखिर गलती कहां हुई थी पर अब क्या हो सकता था।सुप्रिया निकिता को हौसला देते हुए कहती हैं।चलो जो भी हुआ उसे भूल जाओ और तुम अच्छे से रहो और अपने घर जाओ। जो समय बीत गया है।उसे तुम भुला दो और हंसी खुशी से अपना जीवन बिताओ।