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रचनात्मक विचारधारा

क्या सच में आपको लगता है कि आपके साथ अगर बुरा हुआ है, तो वह किसी और ने ही किया है, आपकी अपनी कोई गलती नहीं। देखो ऐसा है_ हमें बुरा तो ज्यादातर दूसरों से ही लगता है लेकिन कितना बुरा लगता है और कितना लगना चाहिए, यह हमारी मानसिकता पर निर्भर करता है। हम सोचते बहुत हैं रचनात्मकता से नही। जो विचार हमें इस समस्या से बाहर लाएं ऐसे विचार हमारी रचनात्मक सोच का आधार होते हैं। अगर हम खुद से पूछे कि जो हम सोच रहे हैं वह विचार हमें परेशान कर रहे हैं तो हम अपने उन विचारों को लगाम दे सकते हैं। रचनात्मक सोच हमारी मानसिकता को प्रभावित करती हैं।

दो तरह की मानसिकताओं पर निर्भर करता है कि इंसान कितना ख़ुश और कितना दुःखी होता है।
एक तरह का इंसान सोचता है कि भगवान ने मुझे सिर्फ दो हाथ दिए, सिर्फ़ दो हाथों से मैं क्या क्या करूं, ये है दुःखी करने वाली मानसिकता। दूसरी मानसिकता का इंसान सोचता हैं कि भगवान ने मुझे दो हाथ ही नहीं उनके साथ 10 मददगार उंगलियां भी दी हैं। वाह 10 सोचते ही कितनी ऊर्जा महसूस होती हैं। इस तरह की मानसिकता के इंसान हमेशा ख़ुश रहते हैं। एक तरह की मानसिकता का इंसान सोचता है कि "भगवान ने मुझे सिर्फ एक छोटा सा दिमाग दिया और समस्याएं इतनी बड़ी बड़ी, बुद्धि के छोटे से हिस्से से मैं उन समस्याओं को कैसे सुलझाऊं" ? और ये सोचकर रोता रहता है। दूसरी तरह की मानसिकता का इंसान सोचता है किसी "वाह भगवान ने मुझे एक ऐसा दिमाग दिया जिसके पास 3 तरह से सोचने की शक्ति है चेतन, अवचेतन और अचेतन"। यानी कि समस्याओं को सुलझाने के लिए 3 तरीके से सोचने की शक्ति है। यह हुई ना ऊर्जा देने वाली बात।

iske bare me aur vistar se janne ke liye kya karna hai, ye aap sab jante hai.☺️

© Sunita Saini (Rani)
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