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मोबाइल वात्सल्य
मोबाइल यंत्र एक संपर्क का माध्यम से अब हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हो चुका है, अब इससे एक भावनात्मक जुड़ाव परिलक्षित हो रहा है।
मोबाइल से भावनात्मक जुड़ाव उसे एक सजीव होने की अनुभूति दे रहा है। यह मोबाइल हमारे लिए संतान के प्रति किया जाने वाला वात्सल्य प्रेम का अधिकारी बन चुका है । यह कैसे हुआ इसके प्रमाण पर अपनी दृष्टि डाले।
प्रमाण 1-
अपनी संतान की भूख और प्यास की देखभाल की तरह हम लगातार मोबाइल की एनर्जी का लेवल जांचते रहते है जैसे ही एनर्जी लेवल कम हुआ तुरंत ही उसे भोजनरूपी चार्जिंग हेतु व्याकुल होकर उसकी भूख को संतृप्त करने को बैचेन हो जाते है।
प्रमाण 2-
अपनी संतान के रोने की आवाज सुनकर तुरंत ही उसे शांत करने का प्रयत्न करते है उसी तरह जैसे ही इनकमिंग कॉल आते ही हम दौड़ पड़ते है और उसे अपने हाथों में उठाकर शांत कर देते है
प्रमाण 3-
बच्चे की पहनी लंगोट को समय समय पर परखने लगते है कि कुछ आया तो नही, उसी तरह मोबाइल में आने वाले मैसेज को पल पल निहारते रहते है कुछ आया तो नही।
प्रमाण 4-
संतान से एक पल की दूरी हमे बैचैन कर जाती है उसी तरह मोबाइल को हमसे दूर किया जाए या नज़रों से ओझल हो जाये तो बैचेन निगाहों से हम उसकी खोज करने लगते है और जब तक मिल न जाये खोज जारी रखते है।
प्रमाण 5-
संतान की समय समय पर साज़ श्रृंगार की तरह मोबाइल की स्क्रीन की सफ़ाई और वस्त्र बदलने की तरह वॉलपेपर बदलते रहते है।
प्रमाण 6-
अपनी संतान का किसी अन्य की गोद मे होना हमे चिंतित कर देता है। मोबाइल भी अगर दूसरे के हाथ लग जाए तो हमारी आंखे चिंतित होकर उन हाथों को निहारती रहती है।
प्रमाण 7-
हमारी संतान ज्यादा दे तक सोयी रहती है तो हम उसकी तबियत की चिंता करने लगते है,उसी तरह मोबाइल काफी देर से शांत रह जाये तो हम तुरंत चिंताग्रस्त होकर उसके नेटवर्क और वायरस की चिंता में व्याकुल हो जाते है।
प्रमाण 8-
रात में अपने संतान की तरह उसे अपनी पहुंच के स्थान पर जगह देते और रात में उसकी सुरक्षा का खयाल रखते है और सुबह सबसे पहले उनकी सुरक्षित अवस्था की जांच करते हुए सुबह का पहला प्यार उस पर लुटाते है।

मोबाइल पर वात्सल्य प्रेम लुटाने वाले पाल्य को मोबाइल के सुरक्षित भविष्य की शुभकामनाएं
HAPPY MOBILE SITTING

संजीव बल्लाल
© BALLAL S