मिस रॉन्ग नंबर 16
#रॉन्गनंबर
~~~~ पार्ट 16 ~~~~
(जीत फोन आए लड़की की मदद के लिए निकलता है~~~~)
आखरी पल~~~~
अचानक उसने मेरे आंखों के सामने फिर से अपनी मदिर सुरीली उंगलियों को नचाते हुए चुटकी बजाई... "अरे मैं बताती जा रही हूं और तुम कहां खोए हुए हो ??"
उसके ये कहते ही वह झेंप सा गया... फिर अपने को संभालते हुए बोला...
"नहीं... कुछ नही.. तुम्हारी ही बातों पर गौर कर रहा था... आय मिन... मैं उस वाकियें में ही रंग गया हूं...!"
जीत किस मुंह से कहे ?? की मैं तो तुममें ही ज्यादा खोता जा रहा हूं...!!
अब आगे~~~~
"अच्छा फिर... आगे क्या हुआ???" - जीत उसकी बातों को आगे बढ़ाने के लिए बोल पड़ा...
उसने अपनी बात फिर उसी अंदाज में जारी रखते हुए बोलना शुरू किया....!
"हां !!!! तो कहां थे हम... हां..., वह.. शायद कुछ भूल गया था, या फिर उसे शायद किन्ही खास वस्तुओं की जरूरत थी... पता नही... पर वो दूसरे कमरे में चला गया था...! अब तक मैने अपने को थोड़ा संभाल लिया था !"
"थोड़ी ही देर में उसके वापस लौट आने की आहट मुझे सुनाई देने लगी... इतने समय में मैने अपने को जितना हो सकता है उतना संभाल लिया था । पूरी मानसिक तैयारी कर ली.. उसके आने के पूर्व ही मुझे यहां से निकल जाना था.... अपने को जबरन उठा कर, जैसे ही मैं उस घेरे के बाहर पैर रखने गई वैसेही किसी अनजानी शक्ति से या यूं कहूं..... जैसे की कोई दीवार हो सामने और मैं उससे टकरा कर गिर पड़ी...!"
"समझ न आया क्या हुआ...! एक तो आधी बेहोशी सी हालत उस पर जो हाथापाई हुई उससे.. या फिर शायद... उसके मंत्रों से..... मुझ में कमजोरी सी आयी थी...!"
मैने धीरज न खोते हुए फिर एक बार बाहर जाने की कोशिश की किंतु इस बार भी वही हुआ...! मैं उस गोल घेरे से बाहर कदम नहीं रख पाईं... और फिरसे धड़ाम से गिर गई...!!
अब मुझे पक्का यकीन हुआ की इस घेरे के बाहर मैं कदम नहीं रख पा रही थी... इसका मतलब ये था की वो घेरा मंत्रों की शक्ति से पूर्णतया अभिभूत हुआ था, जिससे मैं उसके बाहर जाने में अक्षम हो रही थी...!"
फिर मैंने छूटने के दूसरे उपायों पर विचार किया....! हां... !! मुझे किसी को मदद के लिए बुलाना चाहिए था... पर यहां इस सुनसान घर में कोई आता हो... ऐसी कोई आशंका भी नही कर सकते... तो बस.... दिमाग ने कहा कि मैने किसी को फोन करके मदद मांगना चाहिए...! ...फोन... पर फोन और बैग हाथापाई में कहीं गिर गया था... उसे ढूंढना मुमकिन न था...!! फिर अचानक याद आया की मैं अपने स्मार्टवॉच से कॉल कर सकती हूं ...
( क्रमशः ~~~~ )
(आगे की कहानी की प्रतीक्षा करिए... अगले अंक में हम फिर जल्द ही मिलेंगे आगे क्या हुआ जानने के लिए...)
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© Devideep3612
~~~~ पार्ट 16 ~~~~
(जीत फोन आए लड़की की मदद के लिए निकलता है~~~~)
आखरी पल~~~~
अचानक उसने मेरे आंखों के सामने फिर से अपनी मदिर सुरीली उंगलियों को नचाते हुए चुटकी बजाई... "अरे मैं बताती जा रही हूं और तुम कहां खोए हुए हो ??"
उसके ये कहते ही वह झेंप सा गया... फिर अपने को संभालते हुए बोला...
"नहीं... कुछ नही.. तुम्हारी ही बातों पर गौर कर रहा था... आय मिन... मैं उस वाकियें में ही रंग गया हूं...!"
जीत किस मुंह से कहे ?? की मैं तो तुममें ही ज्यादा खोता जा रहा हूं...!!
अब आगे~~~~
"अच्छा फिर... आगे क्या हुआ???" - जीत उसकी बातों को आगे बढ़ाने के लिए बोल पड़ा...
उसने अपनी बात फिर उसी अंदाज में जारी रखते हुए बोलना शुरू किया....!
"हां !!!! तो कहां थे हम... हां..., वह.. शायद कुछ भूल गया था, या फिर उसे शायद किन्ही खास वस्तुओं की जरूरत थी... पता नही... पर वो दूसरे कमरे में चला गया था...! अब तक मैने अपने को थोड़ा संभाल लिया था !"
"थोड़ी ही देर में उसके वापस लौट आने की आहट मुझे सुनाई देने लगी... इतने समय में मैने अपने को जितना हो सकता है उतना संभाल लिया था । पूरी मानसिक तैयारी कर ली.. उसके आने के पूर्व ही मुझे यहां से निकल जाना था.... अपने को जबरन उठा कर, जैसे ही मैं उस घेरे के बाहर पैर रखने गई वैसेही किसी अनजानी शक्ति से या यूं कहूं..... जैसे की कोई दीवार हो सामने और मैं उससे टकरा कर गिर पड़ी...!"
"समझ न आया क्या हुआ...! एक तो आधी बेहोशी सी हालत उस पर जो हाथापाई हुई उससे.. या फिर शायद... उसके मंत्रों से..... मुझ में कमजोरी सी आयी थी...!"
मैने धीरज न खोते हुए फिर एक बार बाहर जाने की कोशिश की किंतु इस बार भी वही हुआ...! मैं उस गोल घेरे से बाहर कदम नहीं रख पाईं... और फिरसे धड़ाम से गिर गई...!!
अब मुझे पक्का यकीन हुआ की इस घेरे के बाहर मैं कदम नहीं रख पा रही थी... इसका मतलब ये था की वो घेरा मंत्रों की शक्ति से पूर्णतया अभिभूत हुआ था, जिससे मैं उसके बाहर जाने में अक्षम हो रही थी...!"
फिर मैंने छूटने के दूसरे उपायों पर विचार किया....! हां... !! मुझे किसी को मदद के लिए बुलाना चाहिए था... पर यहां इस सुनसान घर में कोई आता हो... ऐसी कोई आशंका भी नही कर सकते... तो बस.... दिमाग ने कहा कि मैने किसी को फोन करके मदद मांगना चाहिए...! ...फोन... पर फोन और बैग हाथापाई में कहीं गिर गया था... उसे ढूंढना मुमकिन न था...!! फिर अचानक याद आया की मैं अपने स्मार्टवॉच से कॉल कर सकती हूं ...
( क्रमशः ~~~~ )
(आगे की कहानी की प्रतीक्षा करिए... अगले अंक में हम फिर जल्द ही मिलेंगे आगे क्या हुआ जानने के लिए...)
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