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अपने अपने गाँधी…
अपने अपने गांधी….

भारतीय राजनीति में आंदोलन, धरने व प्रदर्शन का नियमित नियम है और हर बड़े-छोटे व पक्ष-विपक्ष के नेता को वह नियम फोलो करना होता है….यूँ समझ लीजिए कि राजनीतिक नियमावली का यही सर्वमान्य प्रोटोकॉल भी है।

इस प्रोटोकॉल के तहत हर आंदोलन की पृष्ठभूमि में महात्मा गाँधी की बड़ी तस्वीर का होना आवश्यक है ताकी आंदोलन को तार्किक व उद्देश्यपरक दिखाया जा सके।

भारत गांधी जी का देश है, गांधीवादी अवधारणाओं से ओतप्रोत भी है।

इसीलिए आंदोलन में जितनी बड़ी गांधी जी की तस्वीर होगी उतनी बड़ी सफलता मिलेगी वाले टोटके ने अब अनगिनत नेताओं की क़िस्मत चमकाने मदद की है, आगे भी करता रहेगा।

यह तस्वीर आदिम काल के अन्ना हज़ारे के अनशन से लेकर ताज़ातरीन माननीय सचिन पायलट जी के अनशन तक अपना स्थान सुरक्षित रखने में सफल रही है।

भारत संघर्षों का देश है यहाँ आंदोलन व अनशन यूँ ही चलते रहेंगे।

ख़ैर…इन सबसे इतर .. यदि गौर से देखा जाए तो हर आंदोलन की सफलता में जितना बड़ा हाथ इस तस्वीर का रहा है उतना ही बड़ा हाथ उस आंदोलनकारी की असफलता में भी रहा है।

सरल शब्दों में समझें तो आंदोलन कोई करता है लाभ कोई और ले जाता है…मन्तव्य आप समझ ही रहे होंगे।

इस संदर्भ में अनेकों उदाहरण गूगल पर उपलब्ध हैं।

….सम्भव है कि मोदी जी इन सब बातों से भलीभाँति परिचित हैं तभी तो फ़ालतू की रिस्क ना लेते हुए उन्होंने गांधी जी बड़ी तस्वीर के आगे बैठने के बजाय उनके बराबर में बैठना ही बेहतर समझा….😁

समय बदल रहा है, राजनीतिक मनोदशा भी बदल रही है।

नेता आते रहेंगे, राजनीति चलती रहेगी, अनशन होते रहेंगे……गांधी जी आंदोलन के पर्याय बनकर सदैव जीवित रहेंगे…यही राजनीति है….यही इसका मूलाधार है।

ईश्वर सब पर कृपा बनाए रखें।

अपने अपने गाँधी
✍️विक्की सिंह

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