अल्फाज़ ...
कितना टूटा हूं बताऊं कैसे?
में ये दुनियां छोड़ जाऊं कैसे?
मेरे सपने मेरे अपने सब यहीं है मगर,
में ये जिंदगी अकेले बिताऊं कैसे?
कोई समझने को नहीं,
कोई गरजने को नहीं,
में खुद में ही सिमट कर,
मर जाऊं कैसे?
हालांकि कोशिशें उसकी भी की है,
मगर कच्चा...
में ये दुनियां छोड़ जाऊं कैसे?
मेरे सपने मेरे अपने सब यहीं है मगर,
में ये जिंदगी अकेले बिताऊं कैसे?
कोई समझने को नहीं,
कोई गरजने को नहीं,
में खुद में ही सिमट कर,
मर जाऊं कैसे?
हालांकि कोशिशें उसकी भी की है,
मगर कच्चा...