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वेदना
सामान्यतः वेदना से आशय है कि वास्तविक जीवन में ऐसे किसी असहाय भूखे निर्धन व्यक्ति जो कर्मशील है एवं प्रत्येक परिस्थितियों में किसी से कोई सहायता नहीं लेता वह जीवन निर्वाह कर रहा हैं वही दूसरा व्यक्ति उससे उच्च स्थिति में है उसकी प्रत्येक परिस्थितियों से परिचित होते हुए भी उस व्यक्ति पर अत्याचार करता उसके प्रत्येक मार्ग में बाधा उत्पन्न करता हैं वही दूसरी तरफ एक गाय है पशु होते हुए भी मनुष्य को अपने बछङे के समान प्रेम करती अपने बछङे और मनुष्य में कोई भेद नहीं करती है अपने दुग्ध से पापी एवं पुण्य आत्मा में कोई भेद नहीं करती है एवं जब वही गाय अस्वस्थ होती है मनुष्य को जिसने गाय के दुग्ध घृत दही से पूरा परिवार पलता है उस गाय कि करूण वेदना को न समझते हुए उसे असहाय छोड़ दिया जाता हैं यह कही से मानवता नहीं है सम्पूर्ण संसार की अमानवीय घटना है मनुष्य अपने बच्चों को तो नहीं छोड़ता जिन माता पिता ने आपको पाल पोस कर इतना बड़ा किया हर छोटी से छोटी ईच्छा को पूरा किया है उन्हें बच्चे वृधा अवस्था में छोङ देते है एवं वह गाय हम उसे केवल इस लिए छोङ दे कि वह पशु है तो मेरे मत अनुसार मैं ऐसे सम्पूर्ण मानवों को मनुष्य जाति से निष्कासित करता हूँ जो मनुष्य किसी की वेदना न समझते वह मनुष्य तो क्या पशु तुल्य भी नहीं है क्यु कि केवल मनुष्य ही समझदार नहीं जैसे मनुष्यो की समझ है वैसे ही इन पशु पक्छियों कि भी समझ है बाकि अगर किसी कि भावनाए आहत हुई हो तो हृदय से छमा प्रार्थी हूँ
लेखक : सत्यम दुबे
© Satyam Dubey