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सर्त लगाने का सजा
#शर्त
चंदन को शर्त लगाना और फिर उसे जीतना बहुत पसंद था। हर बात पर शर्त लगाना उसकी आदत में शुमार हो गया था। इसलिए चंदन को लोग शर्तिया चंदन कह कर बुलाते थे। आज फिर उस ने शर्त लगाई थी आनंद से कि वह बड़ी हवेली के बगीचे से दस आम तोड़ के लायेगा। जीत ने की चाह और खुद को सही साबित करने के लिए, वो आम तोड़ने के लिए चल पड़ा। उसे इल्म भी नहीं था के वो क्या करने जा रहा है। बड़ी हवेली के अंदर वो दाखिल हुआ। चुपके चुपके वो दीवार लांघ कर हवेली में जा पहँचा। बगीचे में बहत सारे आम के पेड़ थे और आम भी खचा खच भरा हुआ था। लालच का मारा चंदन खुद को रोक नहीं पाया। आम तोड़ने पेड़ पे चढ़ा।आम तोड़ने लगा।दस आम तोड़ने के बाद भी वो रुका नहीं।और आम तोड़ने के लिए ऊपर और ऊपर चढ़ने लगा। फिर एक जगह पे उसका हाथ फिसला और वो धड़ाम से नीचे गिरा।उसका पैर टूट गया था।दर्द में वो चिलाने लगा।आवाज सुनकर चौकीदार वहां भागते हुए आया।वो उसे पकड़ कर मारने वाला था के उसकी हालत देख कर उसे तरस आगया।वो तुरंत उसको होस्पताल ले गया।ये बात पुरे गांव को पता चला।सब चंदन पर हसने लगे।उसे अब समझ आगया था बिन वजह गलत सर्त लगाने का अंजाम। अब वो सुधर गया ।
© Dr. JPR