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एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त ।।
इस गाथा में काई प्रश्न है जो यक्ति की आम जिंदगी से जुड़े हुए हैं और यह गाथा अनन्त सबके लिए है मगर पूर्ण करने योग्य कोई नहीं बल्कि आत्म समर्पण और संघर्ष करती हैं और बहुत मुश्किल इसमें सफल हो पाना है।। श्रीकृष्ण मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गांगुली महान यह बताते कि यह गाथा अनन्त है या पूर्ण यह तय किया जाता योनि के परिछण द्वारा मगर चारो योग हमे यह दिखलाते की कोई मनुष्य स्वच्छ नहीं है इसलिए आत्मा काल से काभी मुक्त नहीं हो सकती है यह तक की कहा गया कि जो योनि अपना सत्व कर्तव्य और दायित्व छोड़ दे वो अपने कुल तथा मरियादा स्वयं ही नाश कर देती है जिसके कारण आत्म समर्पण नहीं कर पाएगी और हमेशा योनि बद्ध होकर कार्य-भृमण करेगी जैसा कि आप सब ने देखा कि कृष्णानंद और लैसवी दोनों ही संभोग तथा यौन मार्ग पर स्थित थे मगर कुछ कारण ऐसा जिन्होंने एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में बहुत ज्यादा बड़ा परिवर्तन कर दिया।। पुरुष पराजितया तो हमेशा कर्म बोहते है मगर स्त्री उत्तेजित होकर अपनी मरियादा भंग कर अपना सर्वस्व समर्पण एक पुरूषार्थ एकविकलपीय समर्पित देकर पाप की भागीदारी बन जाती है इसलिए लैसवी को छमा मांगने पर सा कर्मम् फलम् समाप्ति नवामि सा मोक्ष असंभव प्राप्त ।। मगर यह एक कर्मम् फलम् प्रराति पूणनम् मोक्षम् भृमडाए कथा क्योंकि सा वैशयम् पापम् भवति सा पुनरम् जन्मा फलम् एक मठवाहिनी सा पिढनम् भोगत्म,सा नरधनम् कन्या प्रेमम् ज्ञानम् भवति।। सा समसत्रम् रूपम् छमाया याचनम् भवति।।
एकम् पीड़ित्म स्वपन चम्कारम् भवति श्रीकृषणम् छमायाचनम् सवीम् किंतु सा श्रीवती सा रूहम् भृमणाम् सा तुमहारम् कर्मम् कदामि समाप्तम् भवताह तत्पश्चात सा रूहम् मोक्षम् प्राप्त भवताह भवित।। सा गाऊम् भवति सा खचरम् कदामि भवत्म।। यथासंभव रूहम् भृमणाम् सा समयम् कदामि नष्टाम् सा कालचक्रम् कादापि खडितम्।। किंतु सा रूहम् भृमणाम् सा बीजम् कटतम् समाप्ति भवति सा मुरम् रूहम् मोक्षम् योगयम् भवति।।
सा रूहम् मोक्षम् आमंत्रण स्वीकारम् किंतु मृतयम् रहस्य भवताह किंतु सा वैशयम् रूहम् सर्वग्म परसथानम सा हरि विष्णु भेठम् सा श्रीकृष्ण धनयावदम् भवामि भवताह।।
श्रीकृष्ण पशनम् कुरूवनति तुमहारी मृतयम् रहस्य भवताह किंतु सा रूहम् सर्वग्म परसथानम सकेतम् ।
सा रूहम् भृमणाम् सा प्रतीत्म स्त्री तथा पुरुष दुनीम भृमणाम् भवति पुरूषार्थ बहुविकल्पी भोगम् जरम्भोगम् कादामि समाप्तम् किंतु स्त्री सवरचम् योनि वीर्य परदानम् शीघ्रम् मोक्षम् कुरूवनति।।
किंतु स्त्री संभोगम् जरम् यद्यपि जुदा अग्नि शांति पुरस्कारम् मोक्षम् प्राप्त शीघ्रम् परदानम् द्वारा महानयायधीष परदानम् शीघ्रम् कुरूवनति।।
किंतु श्रीकृष्ण द्वारा रहस्यम् रचयति कनयम् मृतयम् भवति।।
#सत्रीमृतयत्मरहसयम् भवति।।

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