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तेरी-मेरी यारियाँ ! ( भाग-1 )
कहानी शुरू होती है । गाँव के हरे-भरे खेतों से जिसके चारो तरफ दूर-दूर तक बस हरियाली ही हरियाली है । वहाँ की हवा मे एक अलग ही सुकून है । झाड़ियों के बीच बनी छोटी-छोटी पगडंडिया ।

उन्ही पगडंडियों पर एक बारह साल की लड़की जिसका नाम गीतिका है । वह बस अपनी ही धुन मे भागे जा रही है । अपने घर जाने के लिए जैसे वह समय पर ना पहुंची तो पता नही क्या हो जाएगा ।

वह भाग ही रही थी की उसका पैर एक पथर से जा टकराता है । वह पगडंडी के किनारे लगी बड़ी-बड़ी झाड़ियो के बीच जा गिरती है । जिससे उसके मुँह से आह ह,,,,,,,,,,,,,, निकल जाती है ।

तभी उसको किसी के हँसने की आवाज आती है । वह आगे की तरफ देखती है तो उसे दो लड़के खड़े नजर आते है । जिनका नाम निवान और पार्थ है। निवान की उम्र चौदह साल और पार्थ की उम्र लगभग सोलह साल होती है ।

उन दोनो को ऐसे हँसता देख गीतिका उठकर उनके पास जाती है और नाटकीय अंदाज मे उनसे बोलती है।

गीतिका :- बेचारी एक छोटी-सी लड़की, वहां बीच रास्ते पर गिर गई है और तुम दोनो उसकी मदद करने के जगह हँस रहे हो ।

फिर वह अपने माथे पर हाथ रखकर' जमीन पर धड़ाम से बैठ जाती है और बोलती है ।

गीतिका :- हे भगवान ! पता नही आजकल के इन बच्चो का क्या होगा ? घोर कलयुग है ये तो ।

तभी निवान और पार्थ उसकी बाते सुनकर और जोर से हँसने लगते है । पार्थ निवान् से बोलता है ।

पार्थ :- निवान तुझे शर्म नही आती बेचारी एक छोटी-सी लड़की वहा बीच रास्ते पर गिर गई और तू यहां खड़ा हँस रहा है । जा जाकर उसकी मदद कर ।

निवान :- हाँ पार्थ तू सही बोल रहा है । चल इसकी मदद करते है ।

निवान गीतिका के पास जाता है और उसके दोनो हाथों को पकड़कर उसे घसीटते हुए पगडंडी के रास्ते पड़ी कीचड़ के पास ले जाता है ।

पार्थ वहां खड़ा-खड़ा देखता रहता है की आखिर निवान कर क्या रहा है । तभी गीतिका बोल पड़ती है ।

गीतिका :- निवान छोड़ मेरा हाथ तू क्या कर रहा है । कहां लेकर जा रहा है मुझे "छोड़ मेरा हाथ"

निवान गीतिका को कीचड़ मे ले जाकर छोड़ देता है । गीतिका गुस्से से उससे पूछती है ।

गीतिका :- निवान तू मुझे यहां क्यों लेकर आया ? मेरे सारे कपड़े गंदे हो गए । अब मुझे घर पर डाँट पड़ेगी वो भी तेरी वजह से और वो मुँह लटका कर वही कीचड़ मे बैठी रहती है ।

निवान वहा खड़ा हँस रहा था की तभी पार्थ उसके पास आकर उससे पूछता है ।

पार्थ :- तू इसको कीचड़ मे क्यों लेकर आया ?

निवान गीतिका को चिढ़ाने के लिए पार्थ से बोलता है ।

निवान :- तूने ही तो कहा था बेचारी छोटी-सी बच्ची की मदद कर तो कर दी मदद । अब बेचारी को उठाने के लिए उसको गिराना भी तो पड़ेगा ना बुद्धु ।

निवान की यह बात सुनकर पार्थ को हँसी आ जाती है और वह  दोनो जोर-जोर से हँसने लगते है । गीतिका को उन दोनो को ऐसे हँसता देख गुस्सा आ जाता है । वो वहां से उठती है और कीचड़ मे पड़े पथर को उठाकर उन दोनो से बोलती है ।

गीतिका :- तुम दोनो को तो मैं,,,,,,,,, वो इससे आगे कुछ बोल पाती की निवान और पार्थ वहां से भाग जाते है ।

तो गीतिका भी उनके पीछे-पीछे भागने लगती है । भागते-भागते अचानक से उसे याद आता है की उसको तो घर जाना था । माँ इंतजार कर रही होंगी और पापा तो गुस्सा करेंगे इतनी लेट जो हो गई ।

गीतिका एक मिडिल-क्लास परिवार से है कहने को तो वो एक जॉइंट फैमिली मे रहती है । लेकिन उसके परिवार मे लड़कियों को पढ़ाने लिखाने के लिए पाबंदी लगाई जाती है और कम उम्र मे ही उनकी शादी करा दी जाती है ।

लेकिन इन सबके बाद भी वह पढ़ने के मामले मे काफी समझदार है । वह जब भी किसी को पढ़ते हुए देखती तो उसके पास जाकर बैठ जाती है और खुद भी पढ़ने लगती हैं जिससे वह थोड़ा बहुत तो पढ़ना सीख ही चुकी थी ।

निवान एक गरीब परिवार से है जिसमे उसकी माँ और उसकी छोटी बहन के अलावा कोई भी नही है । उसके पापा का किसी बीमारी के चलते निधन हो गया था ।

उसकी माँ लोगो के घर जाकर सफ़ाई का काम करती है और उन्ही पैसों से निवान की पढ़ाई का खर्चा निकलता है

निवान पढ़ने मे ज्यादा अच्छा तो नही है पर वह अपनी तरफ से मेहनत करने मे कोई कसर नही छोड़ता और पास होने लायक नंबर तो वह ले ही आता है ।


अब बचा पार्थ एक अमीर परिवार का लड़का जिसका पालन-पोषण काफी अच्छी तरह से हुआ है । उसके पापा उसको पढ़ने लिखने के लिए काफी जोर देते है ।

लेकिन पार्थ का मानना है की मुझे पढ़ने की जरूरत ही क्या है । पापा का ऑफिस आगे जाकर आखिरकार मुझे ही तो संभालना है । पार्थ मेहनत से नही बल्कि नकल करके पूरी क्लास मे काफी अच्छे नंबर लाता है ।


वही दूसरी ओर गीतिका भागते-भागते खुद से बात करती हुई जा रही थी ।

गीतिका :- आज तो मे गई पापा की डाँट से अब कोई मुझे नही बचा सकता ।

गीतिका बड़बड़ाती हुई भाग ही रही थी की उसको पीछे से किसी की आवाज सुनाई देती है । जब वह उस आवाज को ध्यान से सुनती है तो वह समझ जाती है की ये आवाज उसकी चचेरी बहन मानवी की है जिसकी उम्र लगभग बीस साल होगी ।

मानवी :- गीतिका रुक ! कहां भागे जा रही है एक बार सुन तो सही गीतिका रुक ।

गीतिका वही रुक जाती है और पीछे मुड़ कर देखती है तो उसकी बहन उसके पास ही आ रही थी वह जैसे ही उसके पास आती है गीतिका उससे पूछती है ।

गीतिका :- क्या हुआ मानवी दीदी आप मुझे क्यों बुला रही है ?

मानवी :- तू ऐसे भागते हुआ कहां जा रही है ?

गीतिका :- वो दीदी मे घर जा रही हूँ ।

मानवी :- पर तू ऐसे हड़बड़ा कर क्यों जा रही है आराम से भी तो जा सकती है अगर लग गई तो ।

गीतिका :- पापा ने ही तो मुझे जल्दी घर बुलाया था । वह मुझे    ढूंढ़ रहे हैं । मैं समय पर घर नही गई तो वह बहुत गुस्सा करेंगे ।

मानवी :- पर तुझे किसने कहां की चाचा जी तुझे बुला रहे है । वो तो अभी थोड़ी देर पहले ही जरूरी काम के लिए शहर से बाहर गए है ।

गीतिका :- पर दीदी मुझे तो दुकान वाली काकी ने कहा था की तुझे तेरे पापा बुला रहे है और वो बहुत गुस्से मे भी लग रहे थे ।

मानवी :- मै तो घर से ही आ रही हूँ चाचा जी ने तो ऐसा कुछ नही कहां और ना ही काकी हमारे घर आई थी ।

गीतिका सोचने लगती है फिर काकी ने मुझे झूठ क्यों कहा की मुझे पापा बुला रहे है ।

तभी उन दोनो को पार्थ और निवान के हँसने की आवाज आती है और वह हँसते-हँसते बोलते है । उल्लु बनाया बड़ा मजा आया ।

गीतिका को किसी और ने नही बल्कि उन दोनो ने ही काकी से बोलकर झूठ बुलवाया था ।

गीतिका को उनकी बात सुनकर गुस्सा आ जाता है और वह मानवी से बोलती है ।

गीतिका :- मानवी दीदी आज मे नही छोड़ूंगी इन दोनो को और वह उनके पीछे भागने लगती है ।

मानवी :- गीतिका लग जाएगी रुक कहा भाग रही है । गीतिका जब उसके मना करने के बाद भी नही सुनती तो वह वापस घर की ओर चली जाती है ।

वही वो तीनों अभी भी एक-दूसरे के पीछे भागे ही जा रहे थे । वह भागते-भागते तालाब किनारे आ पहुँचते है । निवान और पार्थ अपनी धुन मे भागे ही जा रहे थे तभी उनको गीतिका के चिल्लाने की आवाज आती है,,,,,,,,,,,,,,,,,

Continue Part - 2