...

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lottery tickets
#WritcoStoryPrompt3
I read it once, then twice. I wasn't imagining it - I had won the lottery!
कानों में ट्रेन के आवाज की आहट तो थी मगर कुछ सुनाई नहीं दे रहा। आखिरी समय आ गया शायद…….ट्रेन के कारण पट्रिया कांप रही थी और रघु की धड़कन उस से भी तेज धड़क रही। रघु ने खुद को पटरी के पास पूरी हिम्मत से ले आया अब ज़िंदगी का बोझ ओर उससे नहीं सहा जा रहा……
तेज रफ्तार के साथ ट्रेन रघु की तरफ बढ़ रही रघु का दिल ट्रने की रफ्तार से धड़के
रघु ट्रेन के आगे कूदे इतने में एक बड़े बाबा ने रघु का हाथ को अपनी तरफ खींच लिया
बाबा: पागल हो गए हो क्या,
क्या करने जा रहे थे, मारने का शौक़ चाढा‌‌‍‍‌ है।
रघु : छोड़ो मुझे, मुझे मारना है छोड़ो
बाबा: दिमाग खराब हो गया है क्या तेरा
बीबी बच्चे नहीं तेरे उनके बारे में तो सोचा होता
रघु: उन्हीं के लिए तो के रहा हूं । मै नहीं रहूंगा तो कोई समस्या ही नहीं रहेगी कम से कम वो तो सुखी से रहेंगे
सारी समस्या की जड़ तो मैं हूं। मुझे मर जाने दो
बाबा:चल इधर चल बैठ वहां आ चल
बाबा रघू को एक पुरानी बैंच पर बिठाते ओर उसके लिया पानी लेकर आये
बाबा : ले पानी पी ले ओर अब बता क्या हुआ...