आत्म संगनी की छलनी आत्मा
आज अनायास ही मुझे आत्म संगनी ने अपने ज़ख्म दिखाए,में कल्पना भी कर पाया की हंसती खिलखिलाती एक खूबसूरत लड़की के अंदर इतना दर्द भी होगा।।उसकी लहू लुहान आत्मा की चादर पर अत्याचार के ज़ख्मों से रिसता लहू उसकी अंतरात्मा को किस प्रकार कचोक रहा होगा।
आज अरसे बाद जब वो मेरे आगोश में आई तो अचानक एक दर्द,एक तकलीफ के साथ आलिंगनबद्ध हुई।...
आज अरसे बाद जब वो मेरे आगोश में आई तो अचानक एक दर्द,एक तकलीफ के साथ आलिंगनबद्ध हुई।...