...

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तुम में ही।
शोर की अपनी ही खामोशी होती है
ये वही सुन सकता है जिसे उसनेे चुना हो

बहुत धीमी ,बहुत मीठी होती है
कभी तलाशना इसे
तुम में ही है

झांकना कभी
गहराइयों में खुद के

रंगों की मिनारें मिलेंगी
कच्ची...