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#प्यार #इंतजार
बस ! उसीका इन्तज़ार था। वह व्याकुल होकर बार बार घड़ी देख रहा था और पसीने से तरबतर बदन को रूमाल से पोंछ रहा था । शायद बेचैनी अपने चरम पडाव पर पहूँच चुकी थी। उससे अब ओर इंतजार नहीं होगा ऐसा लग रहा था ।
ऐन मौके पर हिन्दी फिल्म की हिरोइन की तरह उसका आगमन हुआ । वहनिराशा थकान ऊब और बेसब्री सब अचानक नदारद । मुंह पर मंद मुस्कान और उत्साह ने कब्जा कर लिया। जैसे ऐन वक्त पर पुलिस से कमांडो वी आइ पी के स्थल का कब्जा कर लेते हैं।
प्यार चीज ही कुछ ऐसीहहै जो असंभव को संभव बना देती है। उसने कल इसके बिसीयों कोल का उत्तर नहीं दिया था तो आज रूबरू अंतिम मुलाकात के लिए दोनों मिले थे। शायद भविष्य में कभी एक दूसरे का मुंह नहीं देखने की कसम खाने के लिए ही।
थोडी देर एक दूसरे को घूरकने के बाद अनमने शब्दावली में बतियाते रहे । अचानक परस्पर लिपटकर सिसकियाँ भरने लगे। कदाचित जन्मो का बंधन टूटने के बजाय अधिक मजबूत हो गया.!
बेचारा ! प्रेक्षक हैरान हो अचरज से मथ्थापच्ची करने लगा! बस ! आपकी तरह ही !
© Bharat Tadvi