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गलती किसकी(भाग-२)
गतांक से आगे........
आज हौस्पिटल में दूसरा दिन था। सुबह के दस बज बज चुके थे। काव्या और बेटी सुनीता अपने पति सचिन और दो वर्षीय पुत्र रिंकू के साथ हौस्पिटल पहुंचे गये थे।मां की हालत अभी तक नाज़ुक थी। उन्हें अभी तक होश नहीं आया था। दिमाग का सी.टी. स्कैन करवा दिया था।
संजीव नहीं आए? बहन सुनीता ने काव्या से पूछा।
आज उनके कार्यालय में 10.30बजे अति आवश्यक मीटिंग थे।वे आज आफिस जल्दी चले गए। शायद एक बजे तक आ जायेंगे। काव्या ने कहा।बारह बजे मां को होश आया तो उन्होंने पूछा, मुझे यहां कौन लाया, मुझे
क्या हुआ है?और संजीव कहां हैं,? बहन सुनीता ने ने कहा,कि वो आने वाले हैं।
मां:बहू कहां है, क्या वह नहीं आई। और प्रिंस, वह ठीक है न,? कहते हुए मां फिर अचेत हो गईं।
सुनीता ने डाक्टर कोे सारी स्थिति बताई।
डाक्टर,:- इन्हें शाम पांच बजे तक होश‌ आ जाएगा।सी टी स्कैन की रिपोर्ट आ चुकी है।
रिपोर्ट नार्मल है। इन्हें कोई सदमा लगा है। जिसका प्रभाव दिल पर पड़ रहा है। इन्हें आराम की सख्त जरूरत है।
छः दिन बाद हौस्पिटल से मां को छुट्टी दे दी गई। मां को सुनीता अपने घर ले आई।
मां :-बेटा, मेरा अपने प्रिंस से मिलने का बहुत मन कर रहा है। उससे मिले हुए आज पंद्रह दिन से अधिक हो गए हैं। मेरी कोई ग़लती भी नहीं थी।बहू और बेटे ने मुझ पर प्रिंस को भूखा रखने का इल्ज़ाम लगाकर पहले उन्होंने रसोई अलग कर ली और उसके कुछ समय बाद अलग रहना शुरू कर दिया।
मां,आपको बिल्कुल भी चिंता नहीं करनी है।
मां कभी भी अपने बच्चों को भूखा नहीं रख सकती।आपकी कोई ग़लती नहीं है। मैं संजीव से बात करूंगी। इसमें संजीव की ही गलती है।
सुनीता ने संजीव को फोन किया और शाम को घर र आने को कहा।
ट्रन,ट्रन, ट्रन........ दरवाजे पर कालबैल बजी।सुनीता ने दरवाजा खोला।संजीव, काव्या और प्रिंस आए थे।
आइये,बैठिये।मैं आपके लिए चाय बना कर लाती हूं।सुनीता ने कहा।
संंजीव और काव्या,मम्मी से मिलने अन्दर वाले कमरे में चले गए।
संजीव:- मां, मुझसे बहुत बड़ी ग़लती हो गई है। मैंने अपनी देवी समान मां के ऊपर बिना किसी वजह के शक किया। ईश्वर भी मुझे इस गुनाह के लिए क्षमा नहीं करेगा। मम्मी जी प्लीज़, मुझे माफ़ कर दो। कहते हुए वह उनके पैरों में गिर पड़ा।
मां:- बेटा, सुबह का भूला अगर शाम को घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते। तुम्हें अपनी और गलती का अहसास हो गया है, इससे अधिक प्रायश्चित की जरूरत नहीं है। मैंने तुम्हें क्षमा कर दिया।
काव्या;-मां,आप मुझे भी क्षमा कर दें। मैं इन्हें समझा नहीं पाई।एक बेटे की मां होने के बावजूद भी मां के अहसासों को समझा नहीं पाई। कृपया मुझे आप माफ़ कर दें। कहते कहते वो भावुक हो गईं।
मां:-बेटा,घर को जोड़ कर रखने में तुम्हारी भूमिका बहुत अहम है।घर को छोड़ना और तोड़ना बहुत आसान है किंतु जोड़ कर रख ने में बहुत समझदारी की आवश्यकता होती है।आज आप युवा हो, कल आप भी इस अवस्था को पहुंचोगे। मेरी बातों को गौर करना।कोई मां अपने बच्चों से कभी नाराज़ नहीं होती।
मैंने आपको क्षमा कर दिया। प्रिंस कहां है। मां ने पूछा।
काव्या:-मां,आप महान हो।कहते हुए वह प्रिंस को लेने चली गई जो रसोई में अपनी मौसी के पास खड़ा था।
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