तनाव
मध्यमवर्गीय परिवार में अभी सब अच्छा चल रहा होता है, वही हँसी-खुशी अपनी जिंदगी चल रही होती है हालांकि एक बेरोजगार लड़के को जिंदगी में कई सपने और कई लक्ष्य भी पाने हैं तो खुद को बड़े ही व्यवस्थित तरीके से तैयार करके उन सपनों और लक्ष्य को पाने की जद्दोजहद में अड़े होते हैं। कभी सु:ख कभी दु:ख का भी जिंदगी में पड़ाव आता है, फिर भी इन सबसे से बचते-बचाते लगे रहते हैं अपनी दुनिया बनाने में।
कड़ी मशक्कत और मेहनत के बाद भी लगातार मिल रही असफताओं से हताहत होकर भी कुछ को पुनः समेटकर फिर जुट जाता है ये सोचकर कि तुम नहीं करोगे तो कौन करेगा तुम्हारे लिये, तुम्हें खुद करना है, पर एक दिन ऐसा आता है कि उस दिन की सुबह तुम्हारे खिलाफ बगावत सी लेकर आती है। तुम कुछ अच्छा भी करना चाहो या सोचो भी तो तुम्हारे अपने भी तुम्हारे खिलाफ होते हैं। तुम्हें नकारा साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ते और बेरोजगारी का दंश तो तुम जानते होगे कितना बुरा होता है, हालांकि ये बात भी सही है कि एक परिवार (माता-पिता) कब तक बेरोजगार संतान को पाले और कोई
भी माता-पिता अपनी संतान का बुरा भी नहीं चाहता। लेकिन विषम हालातों में जूझ रही अपनी संतान को नाकारा, मक्कार आदि साबित ना करें क्योंकि असफताओं के दौर में उसके लिए सबसे बड़ा मार्गदर्शक/प्रोत्साहित करने वाला व्यक्ति उसके परिवार के उसके अपने ही होते हैं।
© Mr. Busy
कड़ी मशक्कत और मेहनत के बाद भी लगातार मिल रही असफताओं से हताहत होकर भी कुछ को पुनः समेटकर फिर जुट जाता है ये सोचकर कि तुम नहीं करोगे तो कौन करेगा तुम्हारे लिये, तुम्हें खुद करना है, पर एक दिन ऐसा आता है कि उस दिन की सुबह तुम्हारे खिलाफ बगावत सी लेकर आती है। तुम कुछ अच्छा भी करना चाहो या सोचो भी तो तुम्हारे अपने भी तुम्हारे खिलाफ होते हैं। तुम्हें नकारा साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ते और बेरोजगारी का दंश तो तुम जानते होगे कितना बुरा होता है, हालांकि ये बात भी सही है कि एक परिवार (माता-पिता) कब तक बेरोजगार संतान को पाले और कोई
भी माता-पिता अपनी संतान का बुरा भी नहीं चाहता। लेकिन विषम हालातों में जूझ रही अपनी संतान को नाकारा, मक्कार आदि साबित ना करें क्योंकि असफताओं के दौर में उसके लिए सबसे बड़ा मार्गदर्शक/प्रोत्साहित करने वाला व्यक्ति उसके परिवार के उसके अपने ही होते हैं।
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