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सच्चा सद्भाव
पुत्र की उम्र पैतीस-पचास छूने लगी,,,, पिता पुत्र को व्यापार में स्वतंत्रता नहीं देता था,,,, तिजोरी की चाबी भी नहीं,,, पुत्र के मन में यह बात खटकती रहती थी, वह सोचता था कि यदि मेरा पिता पद्रंह- बीस वर्ष तक और रहेगा तो मुझे स्वतंत्र व्यापार करने का कोई अवसर नहीं मिलेगा,,,, स्वतंत्रता सबको चाहिए,,, मन में चिढ़ थी,, कुढन थी ,,,, एक दिन वह फूट पड़ी,,,, पिता-पुत्र में काफी बकझक हुई,,, सम्पदा का बंटवारा हुआ,,, पिता अलग रहने लगा,,, पुत्र अपने बहू बच्चों के साथ अलग रहने लगा,,,,*

*पिता अकेले थे, उनकी पत्नी का देहांत हो चुका था, किसी दूसरे को सेवा के लिए नहीं रखा, क्योंकि उनके स्वभाव में किसी के...