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मैं, टीपू और परी- भाग-४…..
पापा जी मुझे घर ले आयें और मम्मी से कहने लगे तुम इसको बिगाड़ कर रखा है। आज कल यह ज़्यादा ही उछलने लगा है और यह एक कुत्ते के बच्चे को देख कर उछल रहा था तुम लोगो को पता है मुझे कुत्ते नहीं पसंद और एक तो वो लोग नये आये है । और ऊंपर से इस की मस्ती अच्छा है के वो मेरे दोस्त है। अगर कोई और होते तो इसकी वही डुलाई होती आज! पापा जी बहुत बोले और कमरे में चले गये, मम्मी भी पीछे पीछे चली गई…
मैं भी पीछे पीछे गया और देखा पापा-मम्मी दोनों रो रहे थे भइया के फोटो को देख कर, क्योंकि पापा जी को मेरे हाथ में वो कुत्ता देख कर भइया की याद आ गई, मुझे से वो देखा नहीं गया। मैं घर से बाहर आ गया…

धीरे-धीरें शाम हो गई मैं और पापा जी, मम्मी जी हम तीनों डिनर की तैयारी करने लग गये क्योंकि उनलोगों ने डिनर पे आना था तो बहुत कुछ बनाने वाला था आज घर में बनाते-बनाते मैं भूल ही गया था आज टीपू को मैंने कुछ खाने को नहीं दिया मैंने जल्दी-जल्दी ३/४ रोटीयाँ और थोड़ा सा दोध लिया और भागा-भागा घरसे निकला तो रास्ते में परी मिल गई…

मुझसे परी बोली ओये तू किदर जा रहा है ! हम सब तो तेरे घर को जा रहे है । तुझे याद भी है आज तुम्हारे डैडी ने हमे सब को डिनर पे इन्वाईट किया था, मेरी साँस फुली हुई थी, मैंने कहा थोड़ा रुको, साँस लेने दो, थोड़ी देर बाद मैंने बोला मुझे पता है हमने डिनर रेडी कर लिया है आप सब के लिये आप का ही आना बाक़ी था। आप सब मेरे घर जाये मैं आता हूँ थोड़ी देर में, परी बोली कहा जा रहे हो यह तो तेरे हाथ में रोटी लग रही है । मैंने बोला हाँजी परी बोली किसके लिए है मैं कहा आप लोग मेरे घर चलो मैं आता हूँ , परी बोली मैं भी साथ चलती हूँ मैंने साफ़-साफ़ मना कर दिया वो बोली नहीं मुझे भी जाना है प्लीज़! मैंने बोला तेरे मम्मी-डैडी, उसने मम्मी से पूछा और मम्मी बोली तुम दोनों जल्दी आ जाना और मुझे बोली बेटा ख़्याल रखना परी का….

हम दोनों ऊपर की तरफ़ चल दिये, मुझे चिंता हो रही थी मेरे टीपू की, कि उसने आज कुछ खाया भी होगा के नहीं ……

आगे और भी है……


#जलते_अक्षर
© ਜਲਦੇ_ਅੱਖਰ✍🏻