...

25 views

lahoul spiti my village story
मैं आज आपको स्टोरी बता नै जा रही हूं यह बात है (1979) की उन दिनों बर्फ बारी हो रही थी और या होने वाली सबसे ज्यादा बर्फबारी थी वैसे तो लाहौल स्पीति6 महीने बर्फ से ढका रहता है । लाहौल स्पीति का संपर्क बाकी राज्य से कट जाता है।और वहां पर बर्फबारी ज्यादा होती है मगर इस साल (1979)कुछ ज्यादा ही बर्फबारी हुई।यहां संसाधनों की बहुत कमी है।जिस कारण से आसपास की होने वाली घटनाओं का पता नहीं चलता।मुझे अभी भी याद है सूर्य की वाह पहली किरण एक दुखद समाचार लेकर आई थी।पास का गांव वीराnaiमें बदल चुका था हिमखंड गांव को अपनी चपेट में ले चुका था।वह ना कोई मनुष्य बचा था ना कोई जानवर।सब हिमखंड के नीचे दबे हुए थे।सबसे बुरा हुआ था जो बचे हुए थे हिमखंड की नीचे और लोग दर्द से करहा रहे थेऔर इसकी खबर सब लोगों को सूर्य की पहली किरण आकर पता चली।हिमखंड रात को आया था सोचो वह कैसा मंजर रहा होगा।जब सुबह हमारे गांव से कुछ लोग उधर गए तो देखा ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मानो वहां कोई गांव ही ना हो।एक सफेद सी चादर पूरे गांव में ढकी हुई थी।हमारे यहां सर्दी से बचने के लिए अंगीठी भी जलाया जाता है।और कुछ मनुष्य अंगीठी के साथ चिपक गए थे।और कुछ लोग अलमारियों के नीचे दब गए थे।और वह करा रहे थे और अपनी जीवन की भीख मांग रहे थे।यह सुनकर ही मेरी रूह कांप गई।हजारों लोगों की लाशें पाई गई।वह पूरा गांव अबश्मशान में बदल चुका था।एक मां अपने बच्चे को गोद में लेकर दबी हुई पाई गई।वह अपने बच्चे को बचाने का प्रयास कर रही थी।इस दुखद समाचार सुनकर मेरी रूही कांप गई और मेरा सीना छली छली हो गया हो गया।और मेरे गांव वालों ने काफी लोगों को बचाया।और कुछ लाशें तो अभी तक नहीं मिल पाई।उनकी आत्मा को शांति मिले और ऐसा समय कभी ना आ पाएधन्यवाद।