किमियागर भाग 1(e)
(जिसने पिछला भाग नहीं पढा वो पढ़ सकते हैँ ये भाग क्योंकि हमारा हीरो कुछ खाश करने वाला है..)
लेकिन इसके पहले कि लड़का कुछ कह पाता, बूढ़े ने लकड़ी का एक टुकड़ा उठाया और चौक के फ़र्श की रेत पर उससे कुछ लिखने लगा। उसकी छाती से कोई चीज़ इतनी तेज़ी से चमकी कि पल भर को लड़के की आँखें चौंधिया गयी। बूढ़े ने उस चीज़ को इतनी फुर्ती से अपने लबादे से ढँक लिया कि उसकी उम्र को देखते हुए वैसी फुर्ती का अन्दाज़ा नहीं लगाया जा सकता था। जब लड़का फिर से देख पाने की स्थिति में आया, तो उसने वह पढ़ा जो बूढ़े ने रेत पर लिखा था।
उस छोटे-से शहर के चौक की रेत पर लड़के ने अपने पिता, अपनी माँ और अपनी पाठशाला के नाम लिखे देखे। वहाँ उसने दुकानदार की लड़की का वह नाम भी पढ़ा जो वह खुद नहीं जानता था, और ऐसा और भी कुछ पढ़ा जिसके बारे में उसने कभी किसी को बताया ही नहीं था।
"मैं सलेम का राजा हूँ,” बूढ़े ने कहा था।
"आख़िर एक राजा किसी गड़रिये से बात क्यों करेगा?" लड़के ने विस्मय और संकोच के साथ पूछा।
"बहुत-सी वजहें हैं। लेकिन फ़िलहाल सबसे महत्त्वपूर्ण वजह यह है कि तुम अपनी नियति को खोजने में कामयाब रहे हो।"
लड़का नहीं जानता था कि व्यक्ति की 'नियति' क्या होती है।
"वही जो तुम हमेशा से पाना चाहते रहे थे। अपनी जवानी में हर कोई जानता है कि उसकी नियति क्या है।
"उनकी ज़िन्दगी के उस मक़ाम पर सब कुछ साफ़ होता है और सब कुछ मुमकिन होता है। वे सपने देखने से नहीं डरते, और न ही उस हर चीज़ की लालसा करने से डरते हैं जिसे वे अपनी ज़िन्दगी में घटित होते देखना चाहते हैं, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता जाता है, कोई रहस्यमय शक्ति उनके मन में यह विश्वास जमाना शुरू कर देती है कि अपनी नियति को पा पाना उनके लिए असंभव है।"
बूढ़े ने जो कुछ भी कहा था, उसमें से कोई भी बात लड़के के खास पल्ले नहीं पड़ी थी। लेकिन वह उस 'रहस्यमय शक्ति' के बारे में ज़रूर जानना चाहता था; जब वह सौदागर की लड़की को उसके बारे में बताएगा तो वह बहुत प्रभावित होगी!
"यह शक्ति लगती तो नकारात्मक है, लेकिन दरअसल वह तुम्हें अपनी नियति तक पहुँचने का रास्ता दिखाती है। वह तुम्हारे उत्साह और तुम्हारे संकल्प को मज़बूत करती है, क्योंकि इस पृथ्वी का एक ही महान सत्य है: तुम जो भी कोई हो, या तुम जो भी कुछ करते हो, जब तुम वास्तव में कुछ पाना चाहते हो, तो इसलिए चाहते हो क्योंकि यह इच्छा इस कायनात की रूह से जन्मी होती है। उसे हासिल करना इस पृथ्वी पर तुम्हारी मुहिम है।"
"चाहे वह इच्छा यात्रा करने की ही क्यों न हो? या कपड़ों के किसी व्यापारी की लड़की से शादी करने की ही क्यों न हो?"
"हाँ, या खज़ाने की खोज की ही क्यों न हो। इस कायनात की रूह लोगों के सुख से अपना पोषण प्राप्त करती है। और उनके दुख, द्वेष और ईर्ष्या से भी। अपनी नियति को हासिल कर लेना ही व्यक्ति की एकमात्र वास्तविक ज़िम्मेदारी है। सभी बातें एक जैसी हैं।
"और जब आप कुछ चाहते हैं, तो उसे हासिल करने में सारा संसार एकजुट होकर आपकी मदद करने लगता है?"
कुछ देर वे दोनों खामोश होकर चौक और वहाँ शहर के लोगों की गतिविधियाँ देखते रहे, फिर बूढ़े ने नए सिरे से बातचीत की पहल की।
"तुम भेड़ें क्यों चराते हो?"
"क्योंकि मुझे यात्रा करना अच्छा लगता है।"
बूढ़े ने डबल रोटी बेचने वाले एक आदमी की ओर इशारा किया, जो चौक के एक सिरे पर अपनी दुकान में खड़ा था। "वह आदमी भी अपने बचपन में यात्राएँ करना चाहता था, लेकिन उसने अपनी बेकरी खोलकर कुछ पैसा जमा करने का फैसला किया। उसका इरादा है कि जब...
लेकिन इसके पहले कि लड़का कुछ कह पाता, बूढ़े ने लकड़ी का एक टुकड़ा उठाया और चौक के फ़र्श की रेत पर उससे कुछ लिखने लगा। उसकी छाती से कोई चीज़ इतनी तेज़ी से चमकी कि पल भर को लड़के की आँखें चौंधिया गयी। बूढ़े ने उस चीज़ को इतनी फुर्ती से अपने लबादे से ढँक लिया कि उसकी उम्र को देखते हुए वैसी फुर्ती का अन्दाज़ा नहीं लगाया जा सकता था। जब लड़का फिर से देख पाने की स्थिति में आया, तो उसने वह पढ़ा जो बूढ़े ने रेत पर लिखा था।
उस छोटे-से शहर के चौक की रेत पर लड़के ने अपने पिता, अपनी माँ और अपनी पाठशाला के नाम लिखे देखे। वहाँ उसने दुकानदार की लड़की का वह नाम भी पढ़ा जो वह खुद नहीं जानता था, और ऐसा और भी कुछ पढ़ा जिसके बारे में उसने कभी किसी को बताया ही नहीं था।
"मैं सलेम का राजा हूँ,” बूढ़े ने कहा था।
"आख़िर एक राजा किसी गड़रिये से बात क्यों करेगा?" लड़के ने विस्मय और संकोच के साथ पूछा।
"बहुत-सी वजहें हैं। लेकिन फ़िलहाल सबसे महत्त्वपूर्ण वजह यह है कि तुम अपनी नियति को खोजने में कामयाब रहे हो।"
लड़का नहीं जानता था कि व्यक्ति की 'नियति' क्या होती है।
"वही जो तुम हमेशा से पाना चाहते रहे थे। अपनी जवानी में हर कोई जानता है कि उसकी नियति क्या है।
"उनकी ज़िन्दगी के उस मक़ाम पर सब कुछ साफ़ होता है और सब कुछ मुमकिन होता है। वे सपने देखने से नहीं डरते, और न ही उस हर चीज़ की लालसा करने से डरते हैं जिसे वे अपनी ज़िन्दगी में घटित होते देखना चाहते हैं, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता जाता है, कोई रहस्यमय शक्ति उनके मन में यह विश्वास जमाना शुरू कर देती है कि अपनी नियति को पा पाना उनके लिए असंभव है।"
बूढ़े ने जो कुछ भी कहा था, उसमें से कोई भी बात लड़के के खास पल्ले नहीं पड़ी थी। लेकिन वह उस 'रहस्यमय शक्ति' के बारे में ज़रूर जानना चाहता था; जब वह सौदागर की लड़की को उसके बारे में बताएगा तो वह बहुत प्रभावित होगी!
"यह शक्ति लगती तो नकारात्मक है, लेकिन दरअसल वह तुम्हें अपनी नियति तक पहुँचने का रास्ता दिखाती है। वह तुम्हारे उत्साह और तुम्हारे संकल्प को मज़बूत करती है, क्योंकि इस पृथ्वी का एक ही महान सत्य है: तुम जो भी कोई हो, या तुम जो भी कुछ करते हो, जब तुम वास्तव में कुछ पाना चाहते हो, तो इसलिए चाहते हो क्योंकि यह इच्छा इस कायनात की रूह से जन्मी होती है। उसे हासिल करना इस पृथ्वी पर तुम्हारी मुहिम है।"
"चाहे वह इच्छा यात्रा करने की ही क्यों न हो? या कपड़ों के किसी व्यापारी की लड़की से शादी करने की ही क्यों न हो?"
"हाँ, या खज़ाने की खोज की ही क्यों न हो। इस कायनात की रूह लोगों के सुख से अपना पोषण प्राप्त करती है। और उनके दुख, द्वेष और ईर्ष्या से भी। अपनी नियति को हासिल कर लेना ही व्यक्ति की एकमात्र वास्तविक ज़िम्मेदारी है। सभी बातें एक जैसी हैं।
"और जब आप कुछ चाहते हैं, तो उसे हासिल करने में सारा संसार एकजुट होकर आपकी मदद करने लगता है?"
कुछ देर वे दोनों खामोश होकर चौक और वहाँ शहर के लोगों की गतिविधियाँ देखते रहे, फिर बूढ़े ने नए सिरे से बातचीत की पहल की।
"तुम भेड़ें क्यों चराते हो?"
"क्योंकि मुझे यात्रा करना अच्छा लगता है।"
बूढ़े ने डबल रोटी बेचने वाले एक आदमी की ओर इशारा किया, जो चौक के एक सिरे पर अपनी दुकान में खड़ा था। "वह आदमी भी अपने बचपन में यात्राएँ करना चाहता था, लेकिन उसने अपनी बेकरी खोलकर कुछ पैसा जमा करने का फैसला किया। उसका इरादा है कि जब...