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प्यार क्या है ?
वास्तव में प्यार क्या है ? कब होता है ?ये कैसे होता है ? क्यु होता है ? प्यार करने वालों को शायद इन सवालों के जवाब नहीं पता , क्युंकि प्यार एक अनुभूति है , जो सिर्फ महसुस की जा सकती है , और ये अनुभूति जब तक अनुभव की जाती है तब तक दो प्रेमी प्रेम की डोर में बंध चुके होते है । वो नहीं जानते की उनका ये प्यार कब तक रहेगा , क्या ये जन्मों जन्मों तक रहेगा ? या सिर्फ इस जन्म तक , या आजकल का प्यार जो कुछ साल या कुछ महिने ही चलने वाला है । ये किस तरह का प्यार है दुनियां की नजरों से दुर चोरी चुपके करने वाला या फिर सबके सामने खुले आम , पता नहीं प्यार के क्या मापदंड है इसे कैसे मापा जाता है कौनसा सही है कौनसा गलत है कब सही है कब गलत है क्युंकि ये तो द्वन्द्व है किसी के लिए सही है तो किसी के लिए गलत किसी एक परिस्थिति में यह सही लगता है तो किसी दुसरी परिस्थिती में गलत , सबका अलग नजरिया है , और सब की अलग सोच और परिस्थिती लेकिन सच तो शायद यह हे कि हमारा दिल या मन खुशी चाहता है और जिसके साथ रहने पर खुशी का अनुभव होता है शायद वही प्यार है । पर इस संसार में शायद कोई किसी को पुर्ण रुप से खुश नहीं देखना चाहता और वो इस प्यार को भी बांधना चाहते है । वो चाहते हे कि ये सिर्फ मेरा प्यार है , इस प्यार पर कोई दुसरा हक ना जमा ले ऐसा कैसे हो सकता है । प्यार कोई जमीन का टुकड़ा नहीं की आपने उस पर हक जमा लिया और वो आप का हो गया प्यार एक अनुभूती है जो किसीके पास होने से होती है और वो खुशी प्रदान करती है मगर अपने मन की खुशी के लिए भी दुसरों की इच्छा अनिच्छा को देखना पड़ता है और जिवन भर इसी कश्मकश में अपनी खुशी और प्यार को भुलाकर दुसरों की इच्छा और खुशी के लिए अपनी जिंदगी खत्म करनी पड़ती है । और अपने प्यार और खुशी को दिल के किसी कोनें में दबा कर दफ़न कर दिया जाता है । ये कहानी भी इसी तरह के प्यार की है जिसमें दोनों प्रेमी एक दुसरे से प्यार तो करते है पर क्या दुनिया के नजरों में यह प्यार सही है ? क्या दुसरों की खुशी के लिए अपनी खुशी को दफना देंगे ? क्या ये प्यार परवान चढ़ेगा या बिच राह में ही छोड जायेगा क्या प्यार का मतलब सिर्फ खुशी है ? या कुछ ओर ..... क्रमश :