...

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" क्या लिख, क्या बन गए "
सच लिखा ! ईमान बन गए ...
झूठ लिखा ! बेईमान बन गए...
नाम लिखा ! पहचान बन गए ...
मौत लिखी ! अंजाम बन गए ...
हंसी लिखी ! मुस्कान बन गए ...
फतवा लिखा ! फ़रमान बन गए....
आसूं लिखे ! दर्द बन गए ...
धर्म लिखा ! भगवान बन गए ....
कर्म लिखा ! इंसान बन गए ....
नर्म लिखा ! शांत बन गए ....
इश्क़ लिखा ! मोहब्बत बन गए ....
नफरत लिखी ! दुश्मन बन गए ....
मौन लिखा ! एकांत बन गए ....
दर्द लिखा ! आराम बन गए ....
ज़ख्म लिखे ! बाम...