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हम क्यों सफल नहीं हो पाते?
हम चाहें तो कुछ भी कर सकते हैं फिर क्यों नहीं होता है? हमें सफलता चाहिये, क्यों नहीं मिलती? शांति से सोचिये, क्या हम सफलता, शांति, शक्ति और समृद्धि को चाहते हैं? यदि हम सही मायने में कुछ चाहे और प्राप्त न कर सके ऐसा हो ही नहीं सकता। हम सही मे सफलता, शांति, शक्ति और समृद्धि को चाहते हि नहीं । हम सिर्फ खेलते हैं । जैसे हम सैनिक सैनिक खेलते हैं । जब आप सैनिक सैनिक खेलों तब ना ही आपने सैनिक की तालीम ली, ना ही कोई परीक्षा दी, ना ही सही मे बंदूक चलाई। हमने सिर्फ सैनिक होने का नाटक करते हुए कुछ मिनटों के लिए अपने को सैनिक समझ कर फुसलाया । बंदूक भी नकली, दुश्मन भी नकली । हम को सोचना होगा कि नकली सैनिक बनने से असली सैनिक का काम नहीं हो सकता । इसके लिए असली सैनिक बनना पडेगा । एक लडका या लडकी सही मे चाहता है कि वह सैनिक बने तो वह तालीम लेना भी चाहेंगे । वह शिस्त, परिश्रम, कुछ पाबंदीया और मजबूत तालीम भी चाहेंगे । उनके लिए वे बहूत कुछ त्याग करना भी चाहेंगे क्योंकि वे जानते हैं कि कुछ चीजों को त्यागे बिना वह सैनिक नहीं बन सकते । वे सैनिक बनना चाहते हैं इसलिए वे त्याग करना भी चाहेंगे । यदि हम सही मायने में यदि सफलता, शांति, शक्ति और समृद्धि पाना चाहते तो त्याग करना भी चाहते लेकिन क्या हमने आलस का त्याग किया? हमने मोज मजे त्यागे? हमने ज्यादा नींद त्यागी? हमने डर, शंका और अति विचार को त्यागे? नहीं । जहाँ सही मे चाह है वहाँ त्याग की चाह भी अपने आप होगी । बिना त्याग प्राप्ति नहीं । त्यागो और प्राप्त करो। जितना बिनजरुरी चीजों का त्याग उतनी ही जरूरी चीजों की प्राप्ति । सोचिये । नमस्कार
© hitesh kanubhai shukla