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ग्रह
दैत्य गुरु शुक्राचार्य और देव गुरु बृहस्पति में क्या अंतर है जबकि है दोनो गुरु

मित्रो शुक्र स्वार्थी है और गुरु(बृहस्पति) परमार्थी है
सिर्फ अपने लिए जीना शुक्र सिखाता है
दूसरो के कल्याण का रास्ता गुरु दिखाता है
शुक्र माया का जाल है मोह है एक बंधन है
गुरु सभी बंधनों से मुक्ति दिलवाने का रास्ता है साक्षत परब्रह्म का रास्ता है आत्मा को परमात्मा से मिलाने का रास्ता है
जहां शुक्र कुंडली के बारवे भाव में भोग काम वासना का बड़ाने वाला है
वही गुरु बैठा हो अगर यहां भोग काम वासना से मुक्त कराकर ईश्वर से मिलवाने वाला है आत्मा को परमात्मा से मिलाने वाला है
यही बहुत बड़ा अंतर है दोनो में

गुरु ज्ञान है तभी तो सिद्धार्थ एक राजा का पुत्र बाद में गौतम बुध बने पैसा दौलत छोड़कर जीवन को।जानने की कला बृहस्पति गुरु
महान विश्वामित्र एक राजा होने के बाद भी एक ऋषि बने

जीवन और मरण के बीच से मोक्ष तक जाने का रास्ता गुरु है
और मोह माया में लिप्त रहने का रास्ता स्वार्थ शुक्र है.. ...