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दूरियां धरी रह गई जब मोहब्बत गहरी हो गई
बाते बाते बस बाते बहुत पसंद हैं मुझे ये मुझे तब पता चला जब तुम मिले क्योंकि इससे पहले कभी किसी लड़के से इतनी बाते नहीं की इतना खुलकर नहीं रहीं
हम ज्यादा बाते तो नहीं करते लेकिन करते थे बहुत एक दिन बात न हों तो मेरा पारा चढ़ जाता
वो मुझे प्यार से समझाता की जान समझा कर ना यार time नहीं मिला कल वरना मैं तेरे से बात करे बिना रहता हूं क्या कभी
मगर मैं तो उस से एक पल खुद को दूर नहीं समझती और दिन भर इंतजार में रहती थी की अब रात को हम बात करेंगे
मगर उसे वक्त नही मिलता बात नहीं होती
कभी कभी तो मैं लड़ झगड़ कर सब छोड़ देती
मगर महीना मई का रोज़ यही हाल
में गुस्से में भोकाल जैसे
अब पारा high हो चुका था
बात नहीं हो रही थी और गुस्से में बहुत लड़ाई हुई हमारी
फिर उसने कहा वक्त नहीं होता अब मेरे पास पहले जितना
पर मैं समझने को तैयार नहीं
क्या करता मजबूर होकर छोड़ दिया मुझे मेरे हाल पर
क्योंकि मैं तो समझना ही नही चाह रही थी
एक दिन दो दिन एक हफ़्ता दो हफ़्ते महीना महीने
और नो महीने बाद फिर बात वैसे ही प्यार से कोई मनमुटाव नहीं
बीच की कहानी बताती हूं बहुत रोई मैं बहुत बहुत
बहुत याद करती थी
वो भी करता होगा
मगर बेवकूफ लड़का अपने जज़्बात बाहर नहीं आने देता था
इन 9 महीनो में मेरा नया जन्म हुआ जिसने समझाया कि बाते ज़रूरी नहीं मुलाकाते हो ये भी जरूरी नहीं है
बस दिल के तार एक दूसरे से जुड़े रहें
बहुत मन्नते मांगी बहुत व्रत किए
ताकि वो सलामत रहे क्योंकि मैं समझ गई थी की बात करके मैं क्या कर लूंगी हा मगर सजदे करुगी तो मेरा भगवान उसे हर खुशी से नवाजेगा
इसलिए खूब लिखा शायरी
पत्र और अपनी मोहब्बत उस तक पहुंचाती रही
भूलने नहीं दिया मैंने उसे न मुझे न मेरी मोहब्बत को
और वो मुझे भूलना भी नहीं चाहता था क्योंकि मैं उसकी आखरी मोहब्बत हूं वो कहता हैं हमेशा
कभी कभी दूरियां चाहे जितनी हों मोहब्बत में गहराई हों तो ये धरी रह जाती हैं........❤️❤️
प्रेम गहरा हों चाहे कितनी दूरियों का सेहरा हो।।