...

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पसंदीदा रंग
तुमने पूछा था
मुझसे मेरा पसंदीदा रंग
और जब उस शाम रेस्टोरेंट में
मेरा हाथ थाम कर देखा था तुमने
मेरे नेलपोलिस का रंग
और कह बैठे थे थोड़ी उत्सुकता में
आहा! फेवरेट कलर की नेलपोलीस
उस वक्त थोड़ा,असहज हो गई थी
और खीच लिया था मैने अपना हाथ।
वो हमारी पहली ऑफिशियल मुलाकात थी।
तुम्हारा दोस्त जो मेरा भी था, सामने वाली सीट पर बैठा देख रहा था हमारी बढ़ती नजदीकियों को।
जाने क्यों उस वक्त महसूस हुआ था मुझे की
तुम्हे मेरा मनपसंद रंग पता है, पहली मुलाकात में ही ये बताना चाह रहे थे तुम
अपने–मेरे दोस्त को(हमारे लिखना अब अच्छा नही लगता या यूं कहूं हक नही रहा)।
और मैं झेप गई थी तुम्हारी इस हरकत पर।
मैं जानती थी उसे अच्छा नहीं लगा होगा।
तुमसे पुराना दोस्त था मेरा वो।
जानते हो उस वक्त नहीं बता पाई थी।
और ना तुम जान पाए थे कि आसमानी रंग ही नहीं,पूरा का पूरा आसमान पसंद है मुझे।
जिसके हर छोर को एक बार छू कर देखना चाहती हूं।
एक बार स्काई डाइविंग करना चाहती हूं।
और महसूस करना चाहती हूं आजाद होना।
नही बता पाई थी की मुझे कैद नहीं पसंद।
मुझे पहाड़ झरने नदियों की कलकल और सबसे जरूरी मुझे तुम पसंद हो।

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