...

2 views

नवरात्रि का महत्व
भारतीय धर्मानुसार नवरात्र का पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है। चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा (पहला दिन) से नौ दिन अर्थात नवमी तिथि तक मनाया जाता है।इसे चैत्रीय नवरात्रि कहा
जाता है। छः माह पश्चात आश्विन मास की शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तिथि तक मनाया जाता है।इसे शारदीय नवरात्र से नाम से जाना जाता है।
इस पर्व के दौरान हिन्दुओं की तीन प्रमुख देवियों लक्ष्मी पार्वती और सरस्वती के नौ रुपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता,कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धीदात्री का पूजन किया जाता है। जिन्हें नवदुर्गा
कहा जाता है।

प्रथमं शैलपुत्री
द्वितीय ब्रह्मचारिणी
तृतीय चन्द्रघण्टैति
कुष्मांडेति चतुर्थकम्
पंचकं स्कन्दमातेति
सप्तमं कालरात्रि
महागौरी चाऽष्टकम
नवमं सिद्धीदात्री च नवदुर्गा परिकीर्तितः

नवरात्रि अर्थात नौ विशेष रात्रियां। रात्रि शब्द से सिद्धि का बोध होता है। भारतीय ऋषि मुनियों ने पूजा उपासना और सिद्धी के लिए दिन की अपेक्षा रात को अधिक महत्व दिया है। इसीलिए दीपावली, होली और नवरात्र आदि पर्व रात में ही मनाये जातें हैं।
सिद्धी और साधना की दृष्टि से शारदीय नवरात्र का अधिक महत्व है,इन नवरात्रों में लोग अपनी आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति एकत्र करने के लिए अनेक प्रकार के व्रत उपवास संयम नियम,योग साधना, भजन, पूजन यज्ञादि करते हैं।
कुछ साधक तो पूरी रात्रि पद्मासन या सिद्धासन में बैठकर बीज मंत्रों के द्वारा विशेष सिद्धियां प्राप्त करते हैं। रात्रि में प्रकृति के सारे अवरोध समाप्त हो जातें हैं। हमारे ऋषि मुनि हजारों बरस पहले विज्ञान के इस पहलू को जान चुके थे।

#Navratri
#navratra
#Navratri
#writco
#writicoapp
© सरिता अग्रवाल