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शाही कंजूस
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शाही कंजूस
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5 जुलाई 2013
रविवार का दिन था!,
मै उसके साथ गंगानगर के नेहरू पार्क में बैठा था
मुझे आइस्क्रीम खानी है? बच्चो का सा चेहरा बनाकर
उसने मुझे कहा!
मै पास ही ठेले वाले से दो आइस्क्रीम ले आया,
मै आइस्क्रीम खाते हुए उसके अधरों को देखने में मग्न था, पिघलती आइस्क्रीम अब उसके हाथो तक आ गई थी
इतनी महंगी ! तेज ध्वनि से मेरी तंद्रा टूटी
उसने आइस्क्रीम के रेपर पर लिखा रेट मुझे दिखाकर शिकायत भरे लहजे में कहा
'इतने में तो 5 आ जाती'
शादी के बाद मै तुम्हे बिल्कुल खर्चा नहीं करने दूंगी उसने मुझे चिढ़ाते हुए बोला
इतनी कंजूस से शादी करेगा कौन ?
मैने मजाकिया अंदाज में प्रतिउतर दिया
मेरी इस बात से
उसके चेहरे पर यकायक उदासी छा गई
और अचानक
हमारी वार्तालाप को विराम लग गया
जब एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति अजीब सी वेशभूषा में
हमारे पास आकर बोला
"तुम्हारी जोड़ी सलामत रहे"
उसके इतना कहते ही
मानों उसके चेहरे की उदासी छूमंतर हो गई
अधेड़ उम्र के व्यक्ति को
100 का नोट थमाते हुए
वो बोली आपका बहुत बहुत
शुक्रिया
दोनों हाथो से नोट को पकड़कर वो हजारों दुआए देता हुआ वहां से चला गया
ये क्या किया! इनकी तो आदत है मांगने की,
मैंने शिकायती लहजे मै उसे कहा
तुम नहीं समझोगे उसने असहज सा प्रतिउतर दिया
और हम वहां से चल दिए
आज भी याद आती है उसकी शाही कंजूसी!
जो एक तरफ आइस्क्रीम के पीछे मुझसे
लडती थी दूसरी तरफ कुछ पैसों मै हजारों दुआए
खरीद लेती थी
मै अक्सर जब भी ख्वाब में उससे मुलाकात करता हूं
तो इस बात के लिए बहुत कोसता हूं
की कुछ पैसे और देती तो वो व्यक्ति और भी दुआए देता तो आज हम साथ होते "कंजूस कहीं की"
कंजूस नहीं "शाही कंजूस"
उसके प्रतिउतर से
मुझे अक्सर जाग आ जाती है
मेरे आशी (अक्सर इसी नाम से मुझे बुलाती थी)