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मेरी धड़कन।
इतने साल हो गये मगर आज भी जब कभी मैं अपने घरों की ओर आने वाली उन गलियों से गुज़रती हूँ तो मेरी धड़कनें ठीक उसी तरह अपनी रफ्तार बढ़ा लेती हैं जैसे कि कुछ सालों पहले बढ़ जाया करती थी उसे अपने पीछे आता देख कर। उसका मेरी ओर आना अजीब भले लगे मगर फिर भी कुछ अलग ही बेकरारी का एहसास कराती थी। हाँ भले ही उसने आज तक मुझसे ना कहा हो मगर आंखें तो मैंने भी उसकी पढ़ रखी थी। ना जाने कौन-सा डर था उसकी आंखों में समाया जो उसने आज तक अपने दिलों का हाल मुझे नहीं बताया मगर उसकी आंखों की बेइंतहा मोहब्बत मुझे क्या ही पूरे क्लास को दिखता था और वो भी जो कुछ आंखों ने छिपाया। हाल ही कुछ ऐसा था कि दोनों की आँखों कुछ एक जैसा ही छिपा रखा था। उसे लेकर मेरे एहसास कुछ अलग ही है जो कभी खत्म नहीं होगी। उसके लिए मेरे एहसास उसे पा लेने की नहीं , बस उसे सामने बैठा कर यूँ ताकतें रहने की है, उसकी हर छोटी बड़ी बातों पे मुस्करा देनें की है और जब वह मुझे प्यार से उसके दिए निक नाम से बुलाए तो उसे ना दिखाते हुए मन ही मन मुस्करा देनें की है, उसे अपना कल बनाने की तलब नहिं बस उसे अपने आज में ले कर जीने की है , ख्वाहिशें बड़ी नहिं मगर फ़िर भी उसके क़रीब ना जा कर भी उसे करीब से देखने तक की ही है मेरे एहसास...।। © #onlymuskan