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मेरी ट्रेन की प्रेम यात्रा भाग। एक
गाड़ी की सिटी बज चुकी थी अगला स्टेशन छतरपुर आने वाला मै और मेरी चाची रुद्रपुर के लिए निकले थे ।
जरासल चाची की मां की तबियत अचानक से खराब हो गई थी जिस कारण उन्हें गाव आना पड़ा था अब मै इनको लेकर वापस जा रहा था।
अचानक से गाड़ी रुकी और रुकते ही एक सांवली सी लड़की दरवाजे पर खड़ी हो गई
क्योंकि भीड़ काफी होने के कारण उसे खड़ा है रहना पड़ा तकरीबन एक घंटे बाद टी टी साहब आए रिजर्वेशन बोगी में भी इतनी भीड़ के चलते क्या करते बेचारे उन्होंने भीड़ से निकलना ही ठीक समझा।
धीरे धीरे अपने अपने स्थान पर लोग उतरते गए ।भीड़ भी कम होती गई तब अचानक से एक सीट खाली हुई और वो लड़की वहां बैठ गई करीब आधे घंटे बाद एक चाचा बिहार वाले । अरे रे बाबू देख ता जरा कवन स्टेशन ह हमके उतरे के बा तनी मैंने आवाज हा चाचा जल्दी ही आने वाला है आपका स्टेशन अभी ये कह ही रहा था तब तक काका की बगल वाले सीट को लेकर झड़प हो गई और वो लड़की ऊपर ही मन से मुस्कुरा रही थी हाय ।
थी तो सावली ही पर थोड़ा मै भी मुस्कुरा दिया
यूं कहो दिल आ गया उसपर फिर थोड़ा समय बिता ठंड का सीजन भी था सभी लोग कम्बल डाल के जैसे तैसे सो गए अब बस दो ही लोग जगे थे एक मै एक वो अब सवाल ये थे की कोई बोले भी तो क्या तभी बगल में एक छोटी लड़की की नींद खुली फिर ओ कुछ देर भूत बनंकर यूं ही बैठी फिर अचानक मुझसे कहा भैया आप के फोन में गेम है मै ने उसकी तरफ मुड़ा और कहा नहीं क्योंकि मै तो गानों का शौकीन मुझे कहां इं सब से मतलब अब रात के बारह बजे होंगे फिर लड़की ने कहा भैया है गेम अब दूसरी लड़की हंस दी और मुझे भी हसी आ गई फिर लोगो की आंख टकरा सी गई ऐसा लग रहा था मानो हम पिछले जन्म के अटूट बंधन स्वयंवर के जोड़े हो कुछ ऐसा प्रभाव था फिर भी मैंने उस लड़की को देखते हुए कहा रुको अभी डाउन लोड पर चढ़ा देता हूं और मैंने लूडो गेम लोड किया अब खेलेगा कौन कौन क्योंकि हम तीन को छोड़कर सब बेहोश अब हम तीन ने खेलना शुरू किया अब बीच में जब भी कुछ चार पांच जो भी आता वो सवाली लड़की की अंगुली मुझे छू जाती पहले इत्तेफाक है जाने अनजाने लेकिन बार बार वहीं क्रिया मै समझ गया दुलहन को दूल्हा पसंद है😁अब बस करना क्या था मैंने भी जान के कलाई थोड़ी अंगुली छूला दी मगर उसने कुछ न कहा इससे हिम्मत थोड़ी मुझमें भी आया और मै थोड़ा अब निडर हो गया उसके वो मुझे देखती मै उसे और हम दोनों का लुफ्त वो। लड़की उठाती और हम हर जाते।
प्रिय मित्र आपको कहानी कैसी लगी बताइएगा ।। भाग दो जल्द ले के लौटूंगा।
© navneet chaubey