यात्रा वृतांत
एक दिन किसी काम के सिलसिले में बाहर जाना था।
तो इस कारण बस से सफर कर रहा था।
चूंकि बस में बहुत भीड़ थी तो
कई लोग खड़े खड़े भी सफर कर रहे थे।
मैं बस के भरने से पहले ही उसमें
दाखिल हो चुका था तो मुझे खिड़की
के पास वाली सीट मिल गई थी।
मैं बस में बैठे-बैठे कुछ कविताएं पढ़ रहा था।
कुछ दूर जाने के बाद एक महिला अपने छोटे से
बच्चे के साथ बस में चढ़ी।
उसकी उमर कोई तीन-चार बरस होगी।
जैसे ही वह बस में चढ़ा उसने मां का हाथ छोड़ दिया।
वह भाग कर खिड़की के पास आ गया...
तो इस कारण बस से सफर कर रहा था।
चूंकि बस में बहुत भीड़ थी तो
कई लोग खड़े खड़े भी सफर कर रहे थे।
मैं बस के भरने से पहले ही उसमें
दाखिल हो चुका था तो मुझे खिड़की
के पास वाली सीट मिल गई थी।
मैं बस में बैठे-बैठे कुछ कविताएं पढ़ रहा था।
कुछ दूर जाने के बाद एक महिला अपने छोटे से
बच्चे के साथ बस में चढ़ी।
उसकी उमर कोई तीन-चार बरस होगी।
जैसे ही वह बस में चढ़ा उसने मां का हाथ छोड़ दिया।
वह भाग कर खिड़की के पास आ गया...