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क़भी हार नहीं मानूँगी
दोस्तों मैं पूर्णिमा राय आज अपने जीवन क़ी एक सच्ची कहानी लिखकर आपके सामने ला रही हूँ उम्मीद हैं आपको मेरी ख़ुद क़ी कहानी पसंद आएगी ज़ब मैं पैदा हुई थी दिल्ली में तों
मैं बहुत कमजोर हुई थी धीरे धीरे बड़ी होती गई ज़ब स्कूल में पहुंची थी तों मैं भाग दौड़ वाले खेलों में भाग नहीं लेतीं थी क्योंकि मुझे दौड़ने में डर लगता था तों मेरी टीचर ने मेरे पापा क़ो बुलाया उनसे कहा स्कूल में कोई भी खेल कूद कॉम्पीशन होते हैं आपकी बेटी उसमे भाग नहीं लेती एक जगह बैठी रहती हैं डॉक्टर क़ो दिखाओ सफदारजंग हॉस्पिटल में दिखाया डॉक्टर नें मेंरा ख़ून टेस्ट करवाया उसमें पता चला क़ी मुझे बेक़र मुसक्युलर डिस्ट्रॉफी क़ी गंभीर बीमारी हैं तब मेरी उम्र तेरह वर्ष थी इस बीमारी में धीरे धीरे मासपेशिया ख़राब हो जाती हैं चलना फिरना बंद हो जाता हैं उसके बाद दिल में बीमारी पहुंच जाती हैं दिमाग़ छत्तीग्रास हो जाता उसके बाद मौत हो जाती हैं डॉक्टर नें मेरे माता पिता सें कहाँ था क़ी अठारह साल में मेरी मृत्यु हो जाएगी माता पिता रोने लगे यें सुनकर लेक़िन उन्होंने मुझे कुछ नहीं बताया लेकिन मैंने सब सुन लिया था पर मैं बिल्कुल भी डरी नहीं थी छोटी थी उस समय मैं पतली थी तब अपने आप घूम लेतीं थी चल लेतीं थी औऱ सीढ़िया भी चल लेतीं थी तों मैंने सोचा जो होगा देखा जाएगा ज़ब तक ज़िन्दगी हैं तब तक मैं ख़ुश होकर जीयूँगी अपनी ज़िन्दगी धीरे धीरे बड़ी होतीं गई परेशानिया बढ़ती गई मतलब कुछ ना कुछ होता रहता था मुझे पेट में दर्द रहता था जो भी खाती थी हजम नहीं होता था कुछ भी खाओ खाते ही पॉटी जाना पड़ता था पेट क़ा अल्ट्रासॉउन्ड करवाया उसमें पित क़ी थैली में पथरी आई यें 2010 क़ी बात हैं डॉक्टर नें कहाँ ओप्रशन नहीं करवाया तों लीवर डैमेज हो जाएगा पर डॉक्टर यें भी कहाँ मुझे मुसक्युलर डिस्ट्रॉफी क़ी बीमारी हैं तों इसमें बचने क़ा चान्स एक % औऱ 99% मरने क़ा खतरा हैं अगर जान बच भी गई तों एक साइड क़ा शरीर पैरालिसिस हो जाएगा घर में सब डर गए हमें नहीं करवाना ओप्रशन मैंने कहाँ आप सब डरो मत कुछ नहीं होगा मुझे मैं ठीक ठाक होकर आउंगी डरना क़्या जो होना देखा जाएगा मन में सोच रही थी बचना हैं तों बचूंगी अगर मरना लिखा होगा तों मर जाउंगी मैं हनुमान जी क़ो बहुत मानती हूँ तों मेरी ओप्रशन तारीख भी मैंने मंगलवार क़ी ऱख वाई थी हनुमान जी क़ी छोटी सी मूर्ति ले गई थी साथ ओप्रशन ले गए मुझे गुलकोस क़ी बोतल लगा थी उसमें बेहोशी क़ा इंजेक्शन लगा दिया बेहोश तों हुई लेक़िन बेहोश होने क़े बाद भी मुझे सब महसूस हुआ मेंरा पेट काटा डॉक्टर नें तों ऐसा महसूस हुआ क़ी प्लाश सें दोनों तरफ बहुत जोर सें क़ोई पेट खींच रहा हैं मुझे होश नहीं आ रहा था डॉक्टर नें मुक्के मारे पेट में सीने में बहुत भारी सा लग रहा था जैसे किसी नें सीने में पत्थर ऱख दिया होगा बहुत दर्द हो रहा था ज़ब बर्दाश्त नहीं हुआ दर्द तब मुँह सें जय हनुमान जी निकला तब एक दम सें होश आया मुझे पैरो क़े रास्ते सें बहुत तेज सास आई मुँह सें तब आँखे खुली मेंरी ओप्रशन क़े बाद बेड रेस्ट किया तब सें मेंरा वजन बढ़ गया था तब भी घूमती थी लेक़िन क़ोई पत्थर आने पर संभल नहीं पाती थी नीचे गिर जाती थी ऐसी 2012 दिसंबर में सुबह घूमने गई थी मेरे पैर में ठोंकर लगी औऱ मैं रोड पर गिर गई उल्टे हाथ पर शरीर क़ा सारा भर आ गया बहुत दर्द हो रहा था हाथ में एक्सरे करवाया तों पता चला हड्डी टूट गई हाथ क़ी फ़िर अथोपेडिस्ट डॉक्टर नें कहाँ ओप्रशन होगा औऱ प्लेट डालेगी सुन करके करवाया ओप्रशन क्योंकि होश मुश्किल सें आता हैं मुझे दूसरे ओप्रशन क़े बाद आराम करके वजन ज्यादा बढ़ गया कमजोरी बढ़ गई अब चलने में डर लगने लगा था अब हाथ पकड़कर चलने लगी थी मेंरी बीमारी में वजन बढ़ने सें मासपेशीयो क़ी तागत कम होतीं हैं वजन बढ़ने सें चलने क़ी गति कम हो गई थी मेंरी परेशानिया बढ़ने लगी औऱ मम्मी क़ा बर्ताव बदलने लगा था उनको लगा लड़की हैं ऊपर सें बीमारी हैं पर मेंरी पापा दीदी क़े प्यार में क़ोई कमी नहीं आई 2013 में पापा सरकारी नौकरी सें रिटायरमेंट हो गए थे फ़िर पापा नें रामनगर उत्तराखंड में जमीन लेकर घर बनाया यहाँ लड़किया सुरक्षित हैं यहाँ आकर परेशानी औऱ बड़ी मेंरी अब पापा क़ा हाथ पकड़कर घूमती थी तब फेसबुक चलाती थी फेसबुक क़ी पोस्ट पर कमेंट करती थी लिखकर भी पोस्ट डाल देती थी तों मेरे कमेंट देखकर सैंडी पोएट थे उनको मेंरी पोस्ट देखी कहाँ पूर्णिमा जी आप में लिखने क़ी प्रतिभा हैं आप लेखिका बन सकती हैं उन्होंने मुझे योर कोट्स एप्प पर लिखने क़ो कहाँ मैंने ज्वाइन किया योर कोट्स पर 2018 में वहाँ पर मेरे बहुत सें फोल्ल्वर्स बने कुछ अच्छे दोस्त भी मिले बहुत सराहा मेरे कोट्स क़ो यहाँ आकर दीदी भैया क़ी शादी हो गई भैया दिल्ली चले गए औऱ दीदी जीजू हमारे आस पास ही रहते थे ताकि पापा मम्मी मुझे क़ोई जरुरत होतो वों काम आ सकें शादी क़े बाद जीजू ही मुझे बाहर घुमाते थे फ़िर हमें पता चला 2018 में मुसक्युलर डिस्ट्रॉफी क़ी बीमारी क़ा इलाज आया हैं डॉक्टर नें 90 % ठीक हों जाऊंगी मुंबई मे फ़िर पापा जीजू औऱ मैं मुंबई गए वहाँ मेंरा ओप्रशन हुआ पेट सें पुराने सेल निकलकर लेबॉरिटी में उन्हें ठीक करकें कमर में छेद करकें डाल दिया गया ओप्रशन में जो अनिथिशिया क़े दुशप्रभाव क़े कारण पूरी एक दिन उल्टिया होती रही बहुत कमजोर हों गई थीं एक दिन मम्मी दीदी सें वीडियो कॉल पर बात कर रही थीं मुझे देखकर मेरी हालत देखकर मम्मी दीदी रोने लगे क्योंकि में इतनी कमजोर गई थीं क़ी एक मिनट सें ज्यादा बात भी नहीं कर पा रही थीं ना दस मिनट सें ज्यादा बैठ पा रही थीं दोनों क़ो देखकर मुझे भी रोना आ गया लेक़िन मैंने पीछे मुँह करकें अपने आंसू पोछे चेहरे में स्माइल औऱ आप दोनों क्यों रों रहें हों में इलाज कराने आई हूँ मैं ठीक हों जाऊंगी तों आप दोनों क़ो ख़ुश होना चाहिए ओप्रशन क़े दो दिन बाद मरीजों क़ो मनोचिकित्सक डॉ देबोलीना क़े पास ले जाया गया वों हमारे जैसे मरीजों की कॉउन्सिलिंग करती थीं ताकि कोई मरीज डिप्रेशन में ना जाए ज़ब मैं डॉक्टर क़े पास गई डॉक्टर नें कहाँ पूर्णिमा ओप्रशन क़े बाद तुम पूरी तरह सें हिल गई हो मतलब कमजोर हों गई हों लेक़िन तुम्हारे चेहरे में स्माइल हैं मैंने कहाँ हाँ डॉक्टर जी मैं हमेशा मुस्कुराती रहती हूँ रोने सें तकलीफ़ कम नहीं होती हॅसते रहने सें लड़ने की हिम्मत मिलती हैं डॉक्टर नें कहाँ पूर्णिमा तुम्हे तो काउंसिलिंग की जरुरत नहीं हैं तुम तो ख़ुद एक मोटिवेशनल हों मैंने डॉक्टर क़ो बताया की मेम मैं लिखती हूँ मोटिवेशनल थॉट्स तों डॉक्टर नें मुझसे हाथ मिलाया औऱ कहाँ मैं पहली बार किसी राइटर सें मिली हूँ मेंरा फ़ोन नंबर लिया डॉक्टर नें औऱ डॉक्टर नें कहाँ पूर्णिमा तुम्हे अपनी ख़ुद क़ी ज़िन्दगी क़ी कहानी लिखनी चाहिए बहुत लोग मोटीवेट होंगे तुमसें तब सोचा अपनी कहानी लिखूं तब योर कोट् पर अपनी कहानी लिखी बहुत अच्छे कमेंट औऱ बहुत सारे लाइक मिले लेक़िन कुछ महीने पहले योर कोट्स प्रीमियम ना होने क़े कारण मैं writer co एप्प गूगल सें डाउनलोड करकें मैं यहाँ पर लिखन लगी यहाँ भी आप सभी नें मेरे लिखें मोटिवेशनल कोट्स क़ो पसंद किया इसलिए अब अपनी कहानी आप सभी क़े सामने लेकर आई हूँ आशा करती हूँ क़ी आप सभी क़ो पसंद आएगी मेरे ख़ुद क़े जीवन क़ी सच्ची कहानी.
दोस्तों ज़िन्दगी कितनी मुश्किलें पैदा करें लेक़िन उनसे हार मानने क़ी जगह लड़ना
सीखें उम्मीद हैं एक दिन आप जरूर जीतेंगे !
© Purnima rai