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शर्तिया चंदन की सीख
#शर्त
चंदन को शर्त लगाना और फिर उसे जीतना बहुत पसंद था। हर बात पर शर्त लगाना उसकी आदत में शुमार हो गया था। इसलिए चंदन को लोग शर्तिया चंदन कह कर बुलाते थे। आज फिर उस ने शर्त लगाई थी आनंद से कि वह बड़ी हवेली के बगीचे से दस आम तोड़ के लायेगा।
आनंद ने यह शर्त स्वीकार की, लेकिन उसने चंदन को चेताया कि बड़ी हवेली के मालिक बहुत कड़क स्वभाव के हैं। वह किसी को भी उनके बगीचे में आम तोड़ते हुए नहीं देख सकते। चंदन ने आनंद की बात को हंसी में उड़ा दिया और बोला, "मुझे शर्त जीतने से कोई नहीं रोक सकता।"शाम का समय था और सूरज ढल रहा था। चंदन ने अपनी साइकिल उठाई और बड़ी हवेली की ओर निकल पड़ा। उसके मन में उत्साह और आत्मविश्वास दोनों थे। रास्ते में वह सोच रहा था कि अगर आज की शर्त जीत गया तो गांव में उसकी और भी धाक जम जाएगी।जब वह बड़ी हवेली के पास पहुँचा, तो उसने चारों ओर नजर दौड़ाई। हवेली के बगीचे में बहुत से पेड़ थे और उनमें से एक पेड़ पर खूब सारे पके हुए आम लटक रहे थे। चंदन ने बगीचे की बाउंड्री वॉल को फांदने का फैसला किया। उसने अपने जूते कसे और दीवार पर चढ़ने लगा।दीवार के उस...