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इस साधारण से संसार में थोड़ी असाधारण-सी हूँ मैं
मैं जैसी अंदर से हूँ वैसी ही बाहर से हूँ। स्पष्टवादिता प्रिय है मुझे,दिखावे से सख्त नफरत है मुझे। इस साधारण से संसार में थोड़ी असाधारण-सी हूँ मैं।
अध्यात्म ही वो कड़ी है मेरे जीवन की जो मेरी आत्मा को परम सुख का अनुभव कराती है।

ऐसे तो कोई खास मांग नहीं मेरी,बस कोई ऐसा हो-
●जो सिर्फ अपनी कहने नहीं,मेरी सुनने भी आए
●जो मुझे सिर्फ बाहर से देखने नहीं,अंदर से समझने भी आए
●जो सिर्फ अपनी ही पसंद को नहीं,मेरी पसंद का सम्मान करे
●जो सिर्फ अपनी इच्छा को ही नहीं,मेरी इच्छा का भी मान रखे
●जो सिर्फ मेरी खूबियों पर ही ना रीझे,मेरी खामियों पर भी अनन्य रहे
●जो अध्यात्म मार्ग पर मेरा हाथ थामकर चल सके,और मेरे मन का सही मार्गदर्शन भी कर सके
●जीवन का कोई भी मोड़ हो,एक बार हाथ थाम ले,तो अंत तक साथ रहे
●जो ना सिर्फ संपूर्ण मन से मुझे स्वीकारे,अपितु संपूर्ण आत्मा से मेरा हो जाए।

मैं जैसी अंदर से हूँ वैसी ही बाहर से हूँ।
इस साधारण से संसार में थोड़ी असाधारण-सी हूँ मैं।
© beingmayurr