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कश्मीर में बिताए कुछ पल
#WritcoStoryPrompt101
आज मैं आपको नवंबर में सर्दी के मौसम में बिताए अपने कुछ रोमांचक पलों को आप सब के साथ साझा कर रही हूॅं।
नवंबर के महीने में कश्मीर में शरद श्रतु का नजारा ही कुछ और होता है। कश्मीर में ज्यादातर तो ठंड ही रहती हैं।पर नवंबर महीने के शुरू होते हैं यहां पर पेड़ पौधे सब खाली हो जाते हैं।और बर्फ़ पड़नी शुरू हो जाती है।आसमान से गिरती हुई हल्की हल्की बर्फ़ को देखने का जो नज़ारा है।सच में बहुत ही मनमोहक और रोमांचक है।
‌ मैं ये सब इसलिए जानती हूॅं।क्योंकि वर्तमान समय में मैं कश्मीर में रह रही हूॅं।और यहां का जो वातावरण है।वह बहुत ही सुकून देने वाला है।यहां की खूबसूरत वादियां मन को मोह लेती हैं।मुझे कश्मीर में रहते हुए अभी दो साल होने को है। इन दो सालों में मैंने कश्मीर को बहुत ही करीब से देखा और महसूस किया है।सच में कश्मीर बहुत ही खूबसूरत है और यह सर्दियों के मौसम में जो बर्फ़ पड़ती है।उसका नजारा तो बहुत ही खूबसूरत है।
कश्मीर को जन्नत कहा जाता है।हां सच में कश्मीरी एक जन्नत ही है। मैं जिस जगह में रहती हूॅं।वहां से शंकराचार्य मंदिर जिस चोटी पर स्थित है। वह हमारे यहां से साफ दिखाई देता है।हमने शंकराचार्य मंदिर के दर्शन भी कर किए हैं। नवंबर के महीने में यहां पर इतनी ठंड पड़ने शुरू हो जाती है।कि मैं बयां भी नहीं कर सकती। यहां पर बिना कैरोहीटरमीटर या बुखारी के जिंदगी को काटना बहुत मुश्किल है।
हाॅं यहां पर रहने पर होती है।कुछ परेशानियों और कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।पर यहां का जो नजारा है वो मन को बहुत लुभाता है। यहां की स्नोफॉल में मैंने बहुत मजे किए हैं दोस्तों के साथ बर्फ़ में खेलना उनके साथ मस्ती करना सच में बहुत ही मजा आता है।यहां की हर एक चीज बहुत ही रोमांचित है।
नवंबर से लेकर फरवरी तक जहां पर बर्फ़ पड़ती ही रहती है। जहां की खूबसूरत वादियां बर्फ़ के चादर से सफ़ेद हो जाती है। चारों तरफ बर्फ़ की चादर बिछ जाती है।और यह नजारा मन को इतना ज्यादा लुभाता है।की मैं इसे शब्दों में बयां नहीं कर सकती। अभी मार्च का महीना चल रहा है अभी भी यहां पर इतनी ठंड है की हम सब अभी भी स्वेटर पहने हुए हैं और बुखारी चलती रहती है।
यहां पर यह मेरा आख़िरी साल है। यहां से जाने के बाद में इस जगह को बहुत ही ज्यादा याद करूंगी।क्योंकि यहां का वातावरण बहुत ही मन को लुभाता है। इन दो सालों में हमने अपने आप को यहां के वातावरण के अनुरूप ख़ुद को ढाल लिया है। सच में यहां से जाने के बाद मैं इस जगह को बहुत ही ज्यादा मिस करूंगी।