वो पगली
वो पगली""""""
हर मसले पे मुज़से बात क़िया करती थी ।
सच पे मेरा साथ ओर जुठ का
पुर ज़ोर विरोध किया करती थी
मगर जब भी बातो ही बातो मे ""
जिक्र वफा का होता
तो वह खामोश ही रहा करती थी।
कुछ ईस तरह से वो पगली
मेरे साथ रहा करती थी।
दिल लगाने से डरती थी
या फिर दिललगी से डरा करती थी।
वक़्त उसके साथ कभी कटता नही""?
मानो बस थमसा जाता था,
वो कुछ ईस...
हर मसले पे मुज़से बात क़िया करती थी ।
सच पे मेरा साथ ओर जुठ का
पुर ज़ोर विरोध किया करती थी
मगर जब भी बातो ही बातो मे ""
जिक्र वफा का होता
तो वह खामोश ही रहा करती थी।
कुछ ईस तरह से वो पगली
मेरे साथ रहा करती थी।
दिल लगाने से डरती थी
या फिर दिललगी से डरा करती थी।
वक़्त उसके साथ कभी कटता नही""?
मानो बस थमसा जाता था,
वो कुछ ईस...