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अन सुलझे राज़
#चिट्ठी
लाइब्रेरी में बैठी हुई निकिता क़िताब के पन्ने पलट रही थी और बेसब्री से सुप्रिया का इंतज़ार कर रही थी। जब से सुप्रिया का कॉल आया था और उसने उसे लाइब्रेरी बुलाया था ये कह के की उसको उस चिट्ठी के बारे में कुछ पता चला है, तब से निकिता बेचैन थी। ये वही चिट्ठी है जो निकिता के अधूरे जिवन को समझने में मदद करेगा , जैसे ही सुप्रिया ने लाइब्रेरी में कदम रखा ,निकिता ने हड़बड़ी में सुप्रिया से पूछा कि उसे चिट्ठी के बारे में क्या पता चला है ,सुप्रिया ने कहा कि वह चिट्ठी एक बहुत बड़े व्यवसायी का है, जो कल ही स्विट्ज़रलैंड से काशी आया है ।और इतना बोल सुप्रिया चुप हो गई जिसे देख निकिता ने पुछा आखिर उस चिट्ठी में लिखा क्या है ,जिसके वजह से तुम मुझे यहां मिलने के लिए बोली सुप्रिया ने कहा कि ये वही इंसान है ,जो तुम्हारे जिवन के उस राज के बारे में जानता है जिसे वह सालों से जानना चाहतीं थीं,वह इंसान खुद निकिता से मिलना चाहता था यह सुनकर निकिता सोचने लगी आखिर यह इंसान है कौन जो उसके इतने बड़े राज के बारे में जानता है और कैसे, कितने ही सवाल निकिता के दिमाग में चल रहे थे ,तब निकिता ने सोचा कि इस इंसान से तो अब मिलना ही पड़ेगा पर क्या सच में यह इंसान सच्चाई सामने ला पायेगा या फिर निकिता को फिर एक बार हार का सामना करना पड़ेगा।
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