...

20 views

अफ़सोस
अचानक मोबाइल की रिंग टोन बजी, बड़ी हड़बड़ी में मनीष ने कोल रिसीव किया ।

" हेल्लो... कौन ? "

" मैं दामिनी..! "

" कौन दामिनी ? "

" तुम्हारे कोलेज की बेस्ट फ्रेंड..! "

" क्या आप मुझे नहीं पहचानते ? "

" या इन बीते दो बरस में मुझे यकिनन भूल गयें,
लेकिन मैं कहां इतनी जल्दी तुम्हें भुली हूँ...!"

मनिषने बताते हुये कहा- " अक्सर काम के सिलसिले में सतत बीजी रहता हूँ, इसलिए शायद तुम्हें भूल गया होगा ।"

दामिनी- " लेकिन मेरे ज़हन में तुम्हारी यादें आज भी साफ़ तौर पर जिंदा हैं, वो भी ख्वाबों-ख्याल में सिर्फ तेरे प्यार का पैगाम लेकर,
कोलेज के टाइम में भी मैं तुम्हें बहुत ज्यादा चाहतीं थीं। लेकिन अफ़सोस की मैं तुम्हें दिल से मेरे लव का रिजन बता न सकीं..?"
मौके तो मुझे अनगिनत मिलें, फिर भी मन में कहीं ड़र सा लगा रहता था। इसलिए पलभर में तुम्हें खो देने का खतरा लेना मुझे हरगिज़ मंजूर नहीं था । क्योंकि मैं तुम्हें अपनी जान से भी ज्यादा चाहने लगीं थीं । "

मनीष ने प्यार जताने हुए धीरे से कहा- "माय स्वीर्ट हार्ट.. क्यूँ मुझे एकबार भी बताना जरूरी ना समझा..?"

" क्या मैं तुम्हारी नज़रों में इतना भी पराया हो गया हूँ ! "

दामिनी ने जोर देते हुए कहा- " मनीष ऐसी बात नहीं तुम तो खामखा मुझे से नाराज़ हो गयें , लेकिन कोलेज के वक़्त में तुमने चान्स कहा दिया, ओर तुमने कभी फुर्सत से पूछने का मुनासिफ़ ना समझा ?"

अब उसी तरह मोबाइल पर कई घंटों तक बातें करने का सिलसिला बेफ़िक्री से चलता रहा ।

अब दो हृदय के बीच अत्यंत प्रगाढ़ और घनिष्ठ प्रणय पुष्प निस्वार्थ भाव से खिल उठे थे । अर्थात रिश्ता मानो आगे बढ़कर लव रिलेशनशिप में पक्का जुड़ चुका था ।

इस बार मनीष ने दामिनी को मिलने का गोल्डन अवसर मिल गया तो एक दिन उसने मधुर स्वर में कहा-" कल तुम लव गार्डन में करीब साढ़े दस बजे के आसपास मुझे मिलने अवश्य आना ।"

दामिनी ने उत्सुकता से पूछा- " कल इतनी इपोर्टन क्या बात हैं ? जरा मुझे भी बेधड़क बता दों न..!
जरा इस बैचेन दिल को थोड़ी ठंडक मिल जाएं ।"

मनीष- " इतनी भी क्या जल्दी है माय स्वीर्ट हार्ट..' थोड़ा कल तक इंतज़ार करके देख लों.., क्योंकि सब्र का फल हमेशा मीठा होता हैं ।"

यह बात सुनकर दामिनी ने अधिक जिज्ञासा से पूछा- " माय लव मनीष..!!
अब मुझसे जरा भी रहा नहीं जाता, इतना भी क्या सिक्रेट सरप्राइज है ? "

" यस .. डार्लिंग वैसा ही समझों ।"

" लेकिन अब मुझे एक सैकंड भी रहा नहीं जाता । "

" यस..माय ज़िद्द लव.. मैं बेशक बताता हूँ तो सूनो..!!

" टुमरो (कल) मैं तुम्हें एक ब्यूटीफुल सरप्राइज देना चाहता हूं !"

" यु रियली....? "

" यस माय डियर..!!"

"हा.., मैं जरूर आऊंगी..!

" लेकिन तुम भी काम के सिलसिले में भूल मत जाना ? "

" र्सार..बेबी ( Sure beby)...!!

दूसरे दिन मिलने की बेहद खुशी में दामिनी फोर व्हीलर लेकर घर से निकल पड़ी मनीष को मिलने के लिए । करीब-करीब पास किलोमीटर के आसपास जाकर उसका शहर के मेन हाइवे पर ट्रेलर के साथ ज़ोरदार आक्सीडेंट हो जाता है, जिसमें फोर व्हीलर के पुर्जे-पुर्जे पुरी तरह बिखरे पड़े थें । वहीं दूसरी तरफ़ मनीष ने असंख्य कोल दामिनी पर किये लेकिन फोन स्वीच ऑफ आ रहा था ।

अचानक ऐसी अकल्पनीय-अविश्वसनीय घटना से मनीष पुरी तरह हैरान-परेशान हो गया, वो दामिनी से मिलने का सुखद अवसर मानो उसे सदियों का इंतज़ार लगने लगा, उसके मन में तरह-तरह के सवालों बड़र उमड़ ने लगा था । लेकिन अबतक दामिनी का कुछ भी अता-पता मिला न था ।

अब मनीष के दिल में भी दामिनी से न मिल पाने का " अफ़सोस " रह गया वो भीतर ही भीतर प्रेम की व्यथा अग्नि में अधिक अधिक जलता रहा । जैसे हसीन ख्वाब जिंदगी में दस्तक देने से पहले ही उजड़ गया हो, वैसा लगने लगा, क्योंकि कल जो हरा-भरा सपना दिल था वो आज बंजर रेगिस्तान जैसा सूखा पड़ा था ।

दूसरी तरफ़ दामिनी का इतना डेज़र ऐक्सिडेंट हुआ था की बच पाना नामुमकिन के बराबर था । क्योंकि देखकर शरीर के रोंगटे खड़े हो जाएं और हृदय भी कंपकंपाने लगें इतना भयंकर दृश्य था । जिसे देखकर हर कोई भला इन्सां कहें कि हे प्रभु इतने भी कठोर मत बनो एक हसीन जिंदगी को तबाह करके ।



© -© Shekhar Kharadi